1 जिसे पुस्तकें पढ़ने का शौक है, वह सब जगह सुखी रह सकता है।
महात्मा गांधी
2 सितारों तक हम भले ही न पहुँच सके, लेकिन उनकी तरफ निगाह तो रहनी ही चाहिए।
नेहरू
3 जो यह सोचकर भयभीत रहता है कि कहीं हार न जाए वह निश्चित रूप से हारेगा।
नेपोलियन
4 नवयुवकों के लिए मेरा संदेश तीन शब्दों में है—परिश्रम, परिश्रम, परिश्रम।
विस्मार्क
5 सम्भव असम्भव से पूछता है—‘तुम्हारा निवास स्थान कहां है ?’ —‘निर्बलों के स्वप्नों में’
टैगोर
6 भाग्य के भरोसे बैठे रहने पर भाग्य सोया रहता है और हिम्मत बॉधकर खडे़ होने पर भाग्य भी उठ खड़ा होता है।
अज्ञात
7 अपने जीवन का एक लक्ष्य बनाओ और इसके बाद अपना सारा शारीरिक और मानसिक बल, जो ईश्वर ने तुम्हें दिया है, उसमें लगा दो।
कार्लाइल
8 असफलता से वही अछूता है, जो कोई प्रयास नहीं करता।
व्हेटली
9 अपने सामने एक ही साध्य रखना चाहिए। उस साध्य के सिद्ध होने तक दूसरी किसी बात की ओर ध्यान नहीं देना चाहिए। रात—दिन सपने तक में उसी की धुन रहे, तभी सफलता मिलती है।
स्वामी विवेकानन्द
10 चापलूसी करने वाले से सदा बचे रहो, वह बड़ा भारी चोर होता है। वह तुम्हें मूर्ख बनाकर तुम्हारा समय भी चुराता है और बुद्धि भी।
आचार्य चाणक्य
11 जीवन कितना ही छोटा हो, समय की बर्बादी से वह और भी छोटा बना दिया जाता है।
जॉनसन
12 समय की प्रतीक्षा सब करते हैं, किन्तु उससे लाभ उठाना बुद्धिमानों का ही काम है।
उमाशंकर
13 मन का संकल्प जो स्वीकार कर ले, वही घटित होना शुरू हो जाता है।
आचार्य रजनीश
14 सफलता मिलती है समझदारी और परिश्रम से। यदि तुम्हें चढ़ना है, तो दोनों को अपना लो।
माध
15 पीछे के अनुभव से जो लाभ नहीं उठाते, वे भविष्य को बना नहीं सकते, जो भविष्य में दूर तक नहीं देखता, वह ठोकर खाकर गिर पड़ता है।
गुरूदत्त
16 प्रत्येक विचार, प्रत्येक कर्म का फल अवश्य मिलता है। अच्छे का अच्छा और बुरे का बुरा। यही प्रकृति का नियम है। इसमें देर हो सकती है पर अंधेर नहीं। इसलिए अगर आप सफल होना चाहते हैं, तो अच्छे विचार रखिए, सद्कर्म करिये और जरूरतमंदों की निस्वार्थ भाव से सहायता तथा सेवा करिये। मार्ग में आने वाली कठिनाइयों, बाधाओं और दूसरों की कटु आलोचनाओं से अपने मन को अशांत न होने दीजिये।
स्वेट मार्डेन
17 उस व्यक्ति के लिए कुछ भी असम्भव नहीं है, जो संकल्प कर सकता है और फिर उस पर आचरण कर सकता है, सफलता का यही नियम है।
मोराबी
18 कष्ट ही तो वह प्रेरक शक्ति है जो मनुष्य को कसौटी पर परखती है और आगे बढ़ाती है।
सावरकर
19 सही स्थान पर बोया गया सुकर्म का बीज ही महान फल देता है।
कथा सरित्सागर
20 यदि असंतोष की भावना को लगन व धैर्य से रचनात्मक शक्ति में न बदला जाए तो वह ख़तरनाक भी हो सकती है।
इंदिरा गांधी
21 बाधाएँ व्यक्ति की परीक्षा होती हैं। उनसे उत्साह बढ़ना चाहिए, मंद नहीं पड़ना चाहिए।
यशपाल
22 जंज़ीरें, जंज़ीरें ही हैं, चाहे वे लोहे की हों या सोने की, वे समान रूप से तुम्हें गुलाम बनाती हैं।
स्वामी रामतीर्थ
23 जय उसी की होती है जो अपने को संकट में डालकर कार्य संपन्न करते हैं। जय कायरों की कभी नहीं होती।
जवाहरलाल नेहरू