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लिखिए अपनी भाषा में

  1. पढो, पढाओ और भविष्य बनाओ

    मातापिता की जिम्मेदारी सिर्फ अच्छे स्कूल/कॉलेज में दाखिला कराने,
    किताबें ला देने और सख्ती करने तथा टयूटर लगाने तक ही सीमित नहीं रह जाती
    है। बच्चा पढाई में मन लगाए, उसमें एन्जौय ले और कुछ सीखे, इसके लिए
    जरूरी है कि उसे वैसा माहौल मिले। यह आपकी जिम्मेदारी है।

    योजनाबद्ध तरीके से वक्त बचाएं। गैरजरूरी चीजों पर लगाम लगाएं। आलस्य
    छोडें। यह टाइम बच्चो और उसकी पढाई पर ध्यान दें।

    बच्चो की खूबियों प्रोत्साहित करें। किसी और बच्चो से उसकी तुलना बिल्कुल
    ना करें, उसे समझाएं कि सारे विषयों का महत्व है। उसे जिज्ञासु बनाने का
    प्रयास करें।

    जब आप की बाकी चीजों के लिए टाइम मैनेजमेंट कर सकते हैं, तो निश्चित ही
    अपने बच्चो की पढाई के लिए भी वक्त निकाल सकेंगे।

    जितने मनोयोग से बच्चो केलिए डिजाइनर कपडे लाते हैं, उतना ही मन लगाकर
    उसे कलए सहायक सामग्रियां चुनें। विज्ञान, गणित, इतिहास आदि विषयों से
    जुडी दिलचस्प किताबें मार्केट में मौजूद हैं। बच्चो के लिए चित्रों,
    गीतों और पहेलियौं वाली किताबें पढना खेल की तहर होता है।

    बच्चो की जिज्ञासा को कभी भी टालें नहीं। यदि जवाब नहीं मालूम, तो उससे
    कहें कि आप एक निश्चित समय बाद उसे विस्तार से समझाएंगे। इस बीच किताब या
    इंटरनेट आदि स्त्रोंतो से जवाब पता करें और अपना वादा पूरा कर दें।

    बच्चो की किताबें एक बार पलटकर तो देखें। बहुत कुछ आपका पढा हुआ है। उसे
    याद करें। जो नई चीज है, उसे पढें, समझें, संदर्भ खोजें। इसमें आपको आनंद
    आएगा और आपकी जानकारी भी दुरूस्त होगी।


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  2. 1) पहले पाच सालों में अपने बच्चे को बड़े प्यार से रखिये . अगले पांच
    साल उन्हें डांट-डपट के रखिये. जब वह सोलह साल का हो जाये तो उसके साथ एक
    मित्र की तरह ...

    चाणक्य

    2) सबसे बड़ा गुरु मन्त्र है : कभी भी अपने राज़ दूसरों को मत बताएं. ये
    आपको बर्वाद कर देगा.

    चाणक्य

    3) जब तक आपका शरीर स्वस्थ्य और नियंत्रण में है और मृत्यु दूर है,अपनी
    आत्मा को बचाने कि कोशिश कीजिये; जब मृत्यु सर पर आजायेगी तब आप क्या कर
    पाएंगे?

    चाणक्य

    4) इस बात को व्यक्त मत होने दीजिये कि आपने क्या करने के लिए सोचा है,
    बुद्धिमानी से इसे रहस्य बनाये रखिये और इस काम को करने के लिए दृढ
    रहिये.

    चाणक्य

    5) आशा और उम्मीद की धारणाएं केवल उन्हीं लोगों के लिए अस्तित्व में आई
    हैं, जो नाउम्मीद हो चुके हैं।

    वॉल्टर बेन्यामिन

    6) अच्छे से अच्छे व्यक्ति में भी बुराई का कुछ अंश होता है और बुरे से
    बुरे व्यक्ति में भी कुछ अच्छाई होती है।

    फ्रेडरिक नीत्शे

    7) सफलता पाने का राज यही है कि हम सफलता पाने के लिए पूरी तरह से तैयार
    और चाक-चौबंद रहें।

    हेनरी फोर्ड

    8) राय हमेशा निजी होती है। जबकि आम जनता की दिलचस्पी निजी राय में
    नहीं, बल्कि फैसलों में होती है।


    9) दुनिया की बहुत सारी समस्याएं खत्म हो जाएँ, अगर लोग दूसरों के बारे
    में बात करने के बजाय दूसरों से बात करना शुरू कर दें.

    10) दूसरे धर्मा की निंदा करना गलत है। सच्चा व्यक्ति वह है जो दूसरे
    धर्मा की भी हर उस बात का सम्मान करता है जो सम्मान के लायक है। सम्राट
    अशोक


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  3. बहुत पुरानी कथा है। यूनान में एक व्यक्ति ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक
    संत के पास पहुंचा। उसने संत को प्रणाम कर उनसे कहा-महात्मा जी, मेरे
    जीवन में कुछ प्रकाश हो जाए, ऐसा कुछ ज्ञान देने की कृपा करें। इस पर संत
    बोले- भाई मैं तो एक साधारण व्यक्ति हूं। मैं भला तुम्हें क्या ज्ञान
    दूंगा। यह सुनकर उस व्यक्ति को हैरानी हुई।


    उसने कहा-ऐसा कैसे हो सकता है। मैंने तो कई लोगों से आपके बारे में सुना
    है। इस पर संत बोले- तुम्हें ज्ञान चाहिए तो सुकरात के पास चले जाओ। वही
    तुम्हें सही ज्ञान दे सकेंगे। वे ही यहां के सबसे बड़े ज्ञानी हैं। वह
    व्यक्ति सुकरात के पास पहुंचा और बोला-महात्मा जी, मुझे पता लगा है कि आप
    सबसे बड़े ज्ञानी हो। इस पर सुकरात मुस्कराए और उन्होंने पूछा कि यह बात
    उससे किसने कही है।


    उस व्यक्ति ने उस महात्मा का नाम लिया और कहा-अब मैं आपकी शरण में आया
    हूं। मेरे उद्धार का कोई उपाय बताएं। इस पर सुकरात ने जवाब दिया- तुम
    उन्हीं महात्मा जी के पास चले जाओ। मैं तो साधारण ज्ञानी भी नहीं हूं
    बल्कि मैं तो अज्ञानी हूं। यह सुनने के बाद वह व्यक्ति फिर उस संत के पास
    पहुंचा। उसने संत को सारी बात कह सुनाई।
    इस पर संत बोले- भाई सुकरात जैसे व्यक्ति का यह कहना कि मैं अज्ञानी हूं,
    उनके सबसे बड़े ज्ञानी होने का प्रमाण है। जिसे अपने ज्ञान का जरा भी
    अभिमान नहीं होता वही सच्चा ज्ञानी है। उस व्यक्ति ने इस बात को अपना
    पहला पाठ मान लिया।

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  4. जाको राखे सांइयां मार सके न कोय. कुछ ऐसा हु्आ चीन के निंगहाई में.

    5वीं मंजिल से गिरी, फिर भी जिंदा है वो...

    इस प्रांत से एक अनोखा वीडियो सामने आया है जिसमें ढाई साल की बच्ची
    पांचवीं मंजिल से गिरती है पर वह सही सलामत बच जाती है. Qiqi नाम की
    लड़की को इस हादसे में चेहरे पर मामूली खरोंचे आईं हैं.

    CCTV चैनल द्वारा दिखाए गए सिक्योरिटी कैमरे की फुटेज से साफ होता है कि
    किस तरह लोगों के एक समूह ने इस लड़की की जान बचाई. जो वीडियो सामने आया
    है उसमें देखा जा सकता है कि लोगों का एक समूह बिल्डिंग की ओर देखकर कुछ
    बातें कर रहा था. फिर तुरंत वे लोग एक स्थान पर एकत्रित हो गए और
    बिल्डिंग से गिरी लड़की को लपक लिया.

    CCTV चैनल के मुताबिक लड़की की जान बचाने वाले लोग बिल्डिंग के पास में
    ही एक कंपनी में काम करते हैं. लड़की की चीखने की आवाज सुनने के बाद वे
    लोग वहां पर आए थे.

    Qiqi के परिजनों के मुताबिक वे अपनी बेटी को घर में अकेला छोड़कर चले गए
    थे. उस वक्त वह सो रही थी. पर नींद खुलने के बाद बच्ची खिड़की पर चढ़ गई
    जिस वजह से यह घटना घटी.

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  5. एक लड़के के आपात आपरेशन के लिए एक फोन के बाद डाक्टर जल्दी जल्दी अस्पताल में
    प्रवेश करते हैं....

    उन्होंने तुरंत अपने कपडे बदल कर सर्जिकल गाउन पहना,
    ऑपरेशन के लिए खुद को तैयार किया और ऑपरेशन थियेटर की तरफ चल पड़े...
    हॉल में प्रवेश करते ही उनकी नज़र लड़के की माँ पर जाती है जो उनका इंतज़ार करती
    जान पड़ती थी और बहुत व्याकुल भी लग रही थी.
    डॉक्टर को देखते ही लड़के कीमाँ एकदम गुस्से से बोली : आपने आने इतनी देर क्यों
    करदी..?

    आपको पता नहीं है कि मेरे बेटे की हालत बहुत गंभीर है..?
    आपको अपनी जिम्मेदारी का अहसास है की नहीं..??
    डॉक्टर मंद मंद मुस्कुराते हुए कहता है : मैं अपनी गलतीके लिए आपसे
    माफ़ी मांगता हूँ...

    फोन आया तब मैं अस्पताल मेंनहीं था,
    जैसे ही खबर मिली मैं तुरंतअस्पताल के लिए निकल पड़ा..
    रास्ते में ट्रैफिक ज्यादा होने
    की वजह से थोड़ी देर हो गयी.
    अब आप निश्चिन्त रहो मैं आ गया हूँ भगवान की मर्ज़ी से सब ठीक हो जाएगा..
    अब आप विलाप करना छोड़ दो..''
    इस पर लड़के की माँ और ज्यादा गुस्से से : विलाप करना छोड़ दूं मतलब..?
    आपके कहने का मतलब क्या है..?
    मेरे बच्चे को कुछ हो गया होता तो.?
    इसकी जगह आपका बच्चा होता तो आप क्या करते..??
    डॉक्टर फिर मंद मंद मुस्कुराते हुए : शांत हो जाओ बहन,
    जीवन और मरण वो तो भगवान के हाथ में है,
    मैं तो बस एक मनुष्य हूँ,

    फिर भी मैं मेरे से जितना अच्चा प्रयास हो सकेगा वो मैं करूँगा..
    बाकी आपकी दुआ और भगवान की मर्ज़ी..!
    क्या अब आप मुझे ऑपरेशन थियेटर में जाने देंगीं.??
    डॉक्टर ने फिर नर्स को कुछ सलाह दी और ऑपरेशन रूम में चले गए..
    कुछ घंटे बाद डॉक्टर प्रफुल्लित मुस्कान लिएऑपरेशन रूम से बाहर आकर लड़के की
    माँ से कहते हैं : भगवान का लाख लाख शुक्र है की आपका लड़का सही सलामत है,
    अब वो जल्दी से ठीक हो जाएगा और आपको ज्यादा जानकारी मेरा साथी डॉक्टर दे
    देगा..

    ऐसा कह कर डॉक्टर तुरंत वहां से चल पड़ते हैं..
    लड़के की माँ ने तुरंत नर्स से पुछा : ये डॉक्टर साहब कोइतनी जल्दी भी क्या थी.?
    मेरा लड़का होश में आ जाता तब तक तो रूक जाते तो क्या बिगड़ जाता उनका..?
    डॉक्टर तो बहुत घमंडी लगते हैं''
    ये सुनकर नर्स की आँखों में आंसू आ गए और
    कहा : ''मैडम !

    ये वही डॉक्टर हैं जिनका इकलौता लड़का आपके लड़के की अंधा धुंध ड्राइविंग की
    चपेट में आ कर मारा गया है..
    उनको पता था की आपके लड़के के कारण ही उनके इकलौते लड़के की जान गयी है फिर भी
    उन्होंने तुम्हारे लड़के की जान बचाई है...
    और जल्दी वो इसलिए चले गए क्यों कि वे
    अपने लड़के की अंतिम क्रिया कर्म अधूरी छोड़ कर आ गए थे...!!

    मोरल :''कर्तव्य मेरा सर्वोपरि''



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    Arun Kumar-9868716801

  6. एक राजा था। उसने आज्ञा दी कि संसार में इस बात की खोज की जाए कि कौन से
    जीव-जंतु निरुपयोगी हैं। बहुत दिनों तक खोज बीन करने के बाद उसे जानकारी मिली
    कि संसार में दो जीव जंगली मक्खी और मकड़ी बिल्कुल बेकार हैं। राजा ने सोचा,
    क्यों न जंगली मक्खियों और मकड़ियों को ख़त्म कर दिया जाए।

    इसी बीच उस राजा पर एक अन्य शक्तिशाली राजा ने आक्रमण कर दिया, जिसमें राजा
    हार गया और जान बचाने के लिए राजपाट छोड़ कर जंगल में चला गया। शत्रु के सैनिक
    उसका पीछा करने लगे। काफ़ी दौड़-भाग के बाद राजा ने अपनी जान बचाई और थक कर एक
    पेड़ के नीचे सो गया। तभी एक जंगली मक्खी ने उसकी नाक पर डंक मारा जिससे राजा
    की नींद खुल गई। उसे ख़याल आया कि खुले में ऐसे सोना सुरक्षित नहीं और वह एक
    गुफ़ा में जा छिपा। राजा के गुफ़ा में जाने के बाद मकड़ियों ने गुफ़ा के द्वार
    पर जाला बुन दिया।

    शत्रु के सैनिक उसे ढूँढ ही रहे थे। जब वे गुफ़ा के पास पहुँचे तो द्वार पर
    घना जाला देख कर आपस में कहने लगे, "अरे! चलो आगे। इस गुफ़ा में वह आया होता
    तो द्वार पर बना यह जाला क्या नष्ट न हो जाता।"

    गुफ़ा में छिपा बैठा राजा ये बातें सुन रहा था। शत्रु के सैनिक आगे निकल गए।
    उस समय राजा की समझ में यह बात आई कि संसार में कोई भी प्राणी या चीज़ बेकार
    नहीं। अगर जंगली मक्खी और मकड़ी न होतीं तो उसकी जान न बच पाती। इस संसार में
    कोई भी चीज़ या प्राणी बेकार नहीं। हर एक की कहीं न कहीं उपयोगिता है

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  7. 1) हमें किसी भी खास समय के लिए इंतजार नहीं करना चाहिए, बल्कि अपने हर
    समय को खास बनाने की पूरी तरह से कोशिश करनी चाहिए।

    2) अब तक की सबसे बड़ी खोज यह हैं कि व्यक्ति महज अपना दृष्टिकोण बदल कर
    अपना भविष्य बदल सकता हैं।

    3) जब आप गुस्से में हो तो कोई निर्णय ना ले और जब आप बहुत खुश हो तो कोई
    वादा ना करे।

    4) ज्ञान ही सबसे बड़ी अच्छाई है और अज्ञानता ही सबसे बड़ी बुराई है।

    5) जब आप कुछ गंवा बैठते हैं, तो उससे प्राप्त शिक्षा को न गंवाएं।

    6) मौत का डर, जिंदगी के डर से ही आता है। जो शख्स भरपूर जिंदगी जीता
    है, वह किसी भी वक्त मौत को गले लगाने के लिए तैयार रहता है।

    7) जो जैसा करता है अन्त में वैस भरता है, इसलिए दूसरो के काम की जगह
    हमें अपने काम में ज्यादा ध्यान देना चाहिए।

  8. कुदरत की रहमो इनायत, होती है बेटियां.
    खुदा की सच्ची इबादत, होती है बेटियां.

    मां-बाप की आबरू गरूर, हसरते और बंदिशे.
    नाज़ुक कंधो पर क्या-क्या, सहती हैं बेटियां.

    औरो की खुशी के लिए, हर एक कुर्बानी के बाद.
    लिपट कर तकिये से छुप-छुप कर, रोती है बेटियां.

    दो खानदानो की होती है, इनसे रोशनाई.
    फिर भी बेटो से जाने क्यों, छोटी है बेटियां.

    इनकी रूह भी पिघलती, है ज़ज्बो की आँच से.
    नही महज़ हाड़-माँस की, बोटी है बेटियां.

    इंसान की हैवानियत से, देखो खुदा भी दंग है.
    जब कोख मे मां की वज़ूद, खोती है बेटियां.

    जानता है हर कोई, पर मानता नही कोई.
    कि हीरा है अगर बेटा तो, मोती है बेटियां.

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  9. जो उठा सके ना भार पिता का
    वो बालक ना बनना
    तुम अपने पिता का कभी
    अपमान ना करना

    जिसने तुमको जग दिखलाया
    उसका परित्याग ना करना
    जिसने तुमको ग्यान दिलाया
    उसको हैरान ना करना

    जिसने अपने बच्चो के खातिर
    हर बोझ उठाया
    जिसने अपने बच्चों की
    हर ख्वाईश को गले लगाया

    आज उसी पिता को तुम
    अपना सम्मान ज़रा दें
    उसकी पथराई आँखों में
    थोड़ी जान ज़रा दें.......

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  10. इंटरनेट सर्च इंजन गूगल ने उत्तराखंड के बाढ़ प्रभावित इलाकों में लापता
    लोगों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने के लिए 'पर्सन फाइंडर' ऐप्लिकेशन
    की पेशकश की है। गूगल का पर्सन फाइंडर वेब आधारित ऐप्लिकेशन है, जिसकी
    मदद से लोग अपने मित्रों और संबंधियों के गुम होने की जानकारी दे सकते
    हैं या उनके बारे में सर्च कर सकते हैं।

    गूगल के वरिष्ठ उत्पाद प्रबंधक जयंत मैसूर ने बताया, "उत्तराखंड भारी
    बाढ़ से प्रभावित हुआ है चूंकि आपसी संवाद के नज़रिए से राज्य में
    ज्यादातर इलाके बेहद दुर्गम हैं, इसलिए गूगल आपदा दल आपके लिए पर्सन
    फाइंडर लाया है."


    हिन्दी में जानकारी

    गूगल के इस ऐप्लिकेशन ने 2011 में जापान में आई सुनामी के दौरान लोगों को
    खोजने में काफी मदद की थी। एक अनुमान के मुताबिक उत्तराखंड में आई इस
    आपदा में अब भी 50,000 से अधिक लोग विभिन्न इलाकों में फँसे हुए हैं।


    सरकार ने पीड़ित लोगों की मदद या उनके संबंधियों को उनके बारे में
    जानकारी देने के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं। गूगल की यह सेवा
    सरकारी इंतजामों के अलावा है। यह टूल हिन्दी और अंग्रेजी दोनों में
    उपलब्ध है। गूगल पर्सन फाइंडर को भेजे गए आंकड़े कोई भी इंटरनेट के जरिए
    देख सकता है.


    अपने परिजनों को खोजिए

    कोई भी व्यक्ति सर्च बॉक्स में जाकर अपने परिचित व्यक्ति का नाम लिखकर
    उसे खोज सकता है। इस टूल के जरिए संबंधित व्यक्ति का नाम, उसकी रूपरेखा,
    घर का पता और उसकी मौजूदा स्थिति के बारे में जाना जा सकता है।

    अपने लापता परिजनों का डाटा व फोटो अपलोड कीजिए
    यदि किसी का परिचित न मिल रहा हो तो वह उसकी गुमशुदगी की जानकारी पर्सन
    फाइंडर पर पोस्ट कर सकता है। इससे लाभ ये होगा कि यदि वो घायल या बेहोशी
    की हालत में है तो उसकी मदद करने वाले लोगों को उसके परिजनों के बारे में
    पता चल जाएगा और वो आपको सूचित कर सकेंगे।


    गूगल पर्सन फाइंडर की सेवाओं के लिए यहां क्लिक करें.

    http://google.org/personfinder/2013-uttrakhand-floods

    गूगल पर्सन फाइंडर को हिन्दी में उपयोग करने के लिए यहां क्लिक करें.

    http://google.org/personfinder/2013-uttrakhand-floods?lang=hi

  11. इंटरनेट सर्च इंजन गूगल ने उत्तराखंड के बाढ़ प्रभावित इलाकों में लापता
    लोगों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने के लिए 'पर्सन फाइंडर' ऐप्लिकेशन
    की पेशकश की है। गूगल का पर्सन फाइंडर वेब आधारित ऐप्लिकेशन है, जिसकी
    मदद से लोग अपने मित्रों और संबंधियों के गुम होने की जानकारी दे सकते
    हैं या उनके बारे में सर्च कर सकते हैं।

    गूगल के वरिष्ठ उत्पाद प्रबंधक जयंत मैसूर ने बताया, "उत्तराखंड भारी
    बाढ़ से प्रभावित हुआ है चूंकि आपसी संवाद के नज़रिए से राज्य में
    ज्यादातर इलाके बेहद दुर्गम हैं, इसलिए गूगल आपदा दल आपके लिए पर्सन
    फाइंडर लाया है."


    हिन्दी में जानकारी

    गूगल के इस ऐप्लिकेशन ने 2011 में जापान में आई सुनामी के दौरान लोगों को
    खोजने में काफी मदद की थी। एक अनुमान के मुताबिक उत्तराखंड में आई इस
    आपदा में अब भी 50,000 से अधिक लोग विभिन्न इलाकों में फँसे हुए हैं।


    सरकार ने पीड़ित लोगों की मदद या उनके संबंधियों को उनके बारे में
    जानकारी देने के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं। गूगल की यह सेवा
    सरकारी इंतजामों के अलावा है। यह टूल हिन्दी और अंग्रेजी दोनों में
    उपलब्ध है। गूगल पर्सन फाइंडर को भेजे गए आंकड़े कोई भी इंटरनेट के जरिए
    देख सकता है.


    अपने परिजनों को खोजिए

    कोई भी व्यक्ति सर्च बॉक्स में जाकर अपने परिचित व्यक्ति का नाम लिखकर
    उसे खोज सकता है। इस टूल के जरिए संबंधित व्यक्ति का नाम, उसकी रूपरेखा,
    घर का पता और उसकी मौजूदा स्थिति के बारे में जाना जा सकता है।

    अपने लापता परिजनों का डाटा व फोटो अपलोड कीजिए
    यदि किसी का परिचित न मिल रहा हो तो वह उसकी गुमशुदगी की जानकारी पर्सन
    फाइंडर पर पोस्ट कर सकता है। इससे लाभ ये होगा कि यदि वो घायल या बेहोशी
    की हालत में है तो उसकी मदद करने वाले लोगों को उसके परिजनों के बारे में
    पता चल जाएगा और वो आपको सूचित कर सकेंगे।


    गूगल पर्सन फाइंडर की सेवाओं के लिए यहां क्लिक करें.

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    गूगल पर्सन फाइंडर को हिन्दी में उपयोग करने के लिए यहां क्लिक करें.

    http://google.org/personfinder/2013-uttrakhand-floods?lang=hi

  12. "ऊपर वाले ने इतनी सुन्दर दुनिया बनाई है इसे जितना हो सके देखना है आप "

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  13. दूध से दही बनता है। साथ ही इसे खास बनावट और विशेष खट्टा स्वाद भी
    प्रदान करता है। लोग खाने में दही का प्रयोग लगभग 4500 साल से कर रहे
    हैं। आज इसका सेवन दुनिया भर में किया जाता है।

    यह प्रोटीन, कैल्शियम, राइबोफ्लेविन, विटठामिन बी-6 और विटामिन बी-12
    जैसे पोषक तत्वों से समृद्ध होता है। भारतीय संस्कृति में प्रचीन काल से
    दही की महत्ता को स्वीकार किया गया है। यज्ञ, हवन, शादी-विवाह तथ मंदिरों
    में प्रसाद आदि के मांगलिक अवसरों पर दही का प्रयोग होता रहा है।


    आज भी शुभ कार्य के लिए जाते समय घर के बुजुर्ग दही या गुड़ खाकर जाने को
    कहते हैं।


    1 ) 1 कटोरी बेसन में 2 कटोरी दही, 1 कटोरी पानी, अदरक-लहसुन व हरी
    मिर्च पेस्ट और नमक मिलाकर खांडवी तथा 1 कटोरी दही में 2 कटोरी सूजी और 1
    कटोरी पानी, नमक व 1 छोटा चम्मच ईनो सॉल्ट डालकर इडली बना सकते हैं।

    2 ) खट्टे दही को मलमल के कपड़े में बांधकर लटकाएं और बचे दही में ताजा
    दूध डालकर उपयोग में लाएं। दही का स्वाद एकदम ताजा दही जैसा होगा।

    3 ) पानी निकले दही में बारीक़ कटी पत्तागोभी, प्याज, टमाटर, काली
    मिर्च, नमक व किसी हुई चीज डालकर स्वादिष्ट सैंडविच बनाएं।

    4 ) 1 कटोरी दही में 2 कटोरी सूजी मिलाकर आधे घंटे के लिए रख दें, फिर
    नमक मिलाकर तवे पर चीले जैसा फैलाएं। ऊपर से बारीक़ कटी सब्जियां डालकर
    स्वादिष्ट उत्तपम बना लें।


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  14. 1)  पहले हर अच्छी बात का मजाक बनता है फिर उसका विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है
      - स्वामी विवेकानन्द

    2)  छोटे सपने देखना ही अपराध है।’

     - एपीजे अब्दुल कलाम

    3)  ‘इंतजार करने वालों को सिर्फ उतना ही मिलता है, जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते हैं।’

    -एपीजे अब्दुल कलाम

    4)  ‘जीवन में अपने मन का हो तो अच्छा और न हो तो और भी अच्छा।’

     - हरिवंशराय बच्चन

    5)  "जो सबका मित्र होता है वो किसी का मित्र नहीं होता है।"

     -अरस्तु

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  15. शहर से दूर एक घने जंगल में एक आम का पेङ था और एक लंबा और घना नीम का पेङ था
    | नीम का पेङ अपने पडोसी पेङ से बात तक नहीं करता था | उसको अपने बङे होने पर
    घमंड था |

    एक बार एक रानी मधुमख्खी नीम के पेड़ के पास पहुची और उसने कहाँ "नीम भाई में
    आपके यहाँ पर आपने शहद का छत्ता बना लू " तब नीम के पेड़ ने कहाँ "नहीं जा जाकर
    कही और अपना छत्ता बना " | इतना सुनकर आम के पेड़ ने कहाँ "भाई छत्ता क्यों
    नहीं बना लेने देते यह तुम्हारे पेड़ पर सुरक्षित रह सकेंगी |" इतने पर नीम के
    पेड़ ने आम के पेड़ को जवाब दिया कि मुझे तुम्हारी सलाह कि आवश्यकता नहीं हें |
    रानी मधुमख्खी ने फिर से आग्रह किया तो भी नीम के पेड़ ने मना कर दिया |
    रानी मधुमख्खी आम के पेड़ के पास गई और कहने लगी क्या मै आपकी शाखा पर अपना
    छत्ता बना लूँ | इस पर आम के पेड़ ने उसे सहमति दे दी रानी मधुमख्खी ने छत्ता
    बना लिया और सुखपूर्वक रहने लगी |

    अभी कुछ दिनों बाद कुछ व्यक्ति वहाँ पर आये और कहने लगे कि इस आम के पेड़ को
    काटते हें तभी एक व्यक्ति कि नजर मधुमख्खी के छत्ते पर पड़ी और उसने कहाँ यदि
    हम इस पेड़ को काटते हें तो यह मधुमख्खी हमें नहीं छोडेगी | अतः हम नीम के पेड़
    को काटते हें | इससे हमको कोई खतरा नहीं हें | और लकडियां भी हमे अधिक मात्रा
    में मिल जाएँगी | यह सब बाते सुनकर नीम डर गया अब वह कर भी क्या सकता था |
    दूसरे दिन सभी व्यक्ति आये और पेड़ काटने लगे तो नीम ने कहाँ " मुझे बचाओ –
    मुझे बचाओ नही तो ये लोग मुझको काट डालेंगे "| तब मधुमख्खियो ने उन लोगों पर
    हमला कर दिया और उन्हें वहाँ से भगा दिया |

    नीम के पेड़ ने मधुमख्खियो को धन्यवाद दिया तो इस पर मधुमख्खियो ने कहाँ
    "धन्यवाद हमें नही आम भाई को दो यदि वह हमसे नहीं कहते तो हम आपको नहीं बचाते
    "|

    सीख.............."कभी कभी बड़े और महान होने का एहसास हमें घमंडी और
    क्रूर बना देता हें |
    जिससे हम अपने सच्चे साथियों से दूर हो जाते हें |"


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    Arun kumar-9868716801

  16. Motivational Hindi Quotes

    Monday, June 17, 2013

    1) ईश्वर द्वारा निर्मित हवा-पानी की तरह सब चीजों पर सबका समान अधिकार
    होना चाहिए।


    -महात्मा गांधी

    2) आप किसी विषय का विशद ज्ञान हासिल करना चाहते हैं, तो इसे दूसरों को
    सिखाना शुरू कर दीजिए।


    - ट्रायन एडवडर्स

    3) ऐसा छात्र जो प्रश्न पूछता है, वह पांच मिनट के लिए मूर्ख रहता है।
    लेकिन जो पूछता ही नहीं, वह जिंदगी भर मूर्ख ही रहता है।


    - चीनी कहावत

    4) अध्यापक मागदर्शक का काम करते हैं, चलना आपको खुद ही पड़ता है।


    - एक चीनी कहावत

    5) केवल कर्महीन ही ऐसे होते हैं.जो भाग्य को कोसते हैं, और जिनके पास
    शिकायतों का बाहुल्य होता है।


    - एक चीनी कहावत

    6) दूसरों के दुर्भाग्य से या गलतियों से बुद्धिमान व्यक्ति यह शिक्षा
    ग्रहण करते हैं कि उन्हें किस बात से बचना चाहिए।


    - साइरस

    7) सच्चे मित्रों के चुनाव की पहली और प्रमुख आवश्यकता है, उत्कृष्ट
    पुस्तकों का चुनाव।


    - कोल्टन

    8) जो कुछ तुम आज कर सकते हो, उसे कल के भरोसे पर कभी मत छोड़ो।


    - फ्रैंकलिन

    9) एक-दूसरे को प्रेम करो, लेकिन प्रेम को बंधन मत बनने दो।


    -खलील जिब्रान

    10) कर्म को स्वार्थ की ओर से परमार्थ की ओर ले जाना ही मुक्ति है, कर्म
    का त्याग मुक्ति नहीं है।



    -रविन्द्र नाथ ठाकुर

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  17. 1) कोई शिकायत अपने दिल में कभी नहीं रखना, यह आपके स्वास्थ्य के लिए
    हानिकारक हो सकता है..।

    2) खुश रहे तू सदा यह दुआ है मेरी... तेरी प्रेमिका ही बन जाए भाभी तेरी...!!!

    3) जो पति अपनी बीवी से डरते हैं, वो स्वर्ग में जाते हैं, और जो नहीं
    डरते उनके लिए धरती ही स्वर्ग के समान है!

    4) काम करो या न करो, काम की फिक्र जरुर करो! ..और फिक्र करो न करो,
    जिक्र जरुर करो!

    5) बीसवी सदी की लड़कियां, अगर तुम मिल जाओ जमाना छोड़ देंगे हम,
    इक्कीसवी सदी की लड़कियां, अगर तुम मिल जाओ, तो पुराना छोड़ देंगे हम..।

    6) ना वक्त इतना हैं कि सिलेबस पूरा किया जाए, ना तरकीब कोई की एग्जाम
    पास किया जाए, ना जाने कौन सा दर्द दिया है इस पढ़ाई ने ना रोया जाय और
    ना सोया जाए.

    7) अगर आप सच्चा प्यार करेंगे, तो रोज मरेंगे, लेकिन प्यार से फ्लर्ट
    करेंगे तो रोज एन्जॉय करेंगे।

    8) प्यार में वक्त गुजर जाता है। वक्त में प्यार गुजर जाता है।

    9) अच्छो दोस्त जितनी बार भी रूठें उन्हें मना लेना चाहिए क्योंकि वो
    हमारे सारे राज जानते हैं।

    10) तुम्हारे पास दो ही विकल्प हैं कुंवारे रहे और शादी के बारे में
    सोचते रहे या शादी करलो और मरने के बारे में सोचते रहो।

  18. ब्रिटेन के ईस्ट ग्रिनस्टेड शहर में रहने वाले एक दंपत्ति ने अपनी
    मर्सिडीज कार को नीलामी के ऑनलाइन वेबसाइट ईबे पर रखा है। लेकिन कार के
    साथ जो विवरण लिखा गया है उसे पढ़कर तो शायद ही इसे कोई और खरीदे।
    मार्केटिंग के इस दौर में जहां लोग अपने प्रोडक्ट की खामियां छुपाते हैं
    वहां इस जोड़े ने अपनी कार की सारी खामियां उस विज्ञापन में डाल दीं।

    अब विज्ञापन पर एक नजर डालिए- अगर आप एक बेदाग और अच्छी कंडीशन की
    मर्सिडीज चाहते हैं तो आप गलत जगह आ गए हैं। लेकिन अगर आप उदास हैं और
    आपका बजट कम है तो इस नीलामी में आपका स्वागत है। आपके सामने पेश है
    जर्मन इंजीनियरिंग का बेहतरीन नमूना यह कार। और उसके साथ मेरी मॉडलिंग।
    यह गाड़ी अब तक काफी दौड़ाई गई है। कई बार टूटी इस कार का इंटीरियर
    बर्बाद हो चुका है। इसे खरीदने की शर्तें और नियम कुछ अजीब हैं। हम इस
    कार को पश्चिमी अफ्रीका के किसी भी पते तक पहुंचा देंगे। अगर आप कोई
    करोड़पति हैं मगर प्रोसेसिंग फी के कारण यह नहीं खरीद सकते तो हमें
    बताएं, हमारे वकीलों की टीम सिर्फ आपके एक इशारे के इंतजार में है। 2012
    के समर ओलिंपिक में हमने बड़े प्यार से कार को साफ किया था। दो बार पूरी
    तरह से टूट चुकी इस कार का सीडी चेंजर खराब है मगर रेडियो काम करता है।
    हालांकि हमारी कार काफी पॉपुलर हो चुकी है। अब तक 50 लोग इसकी बोली लगा
    चुके हैं।

    kuchkhaskhabar@gmail.com












  19. kuchkhaskhabar@gmail.com

  20. टूटी प्याली

    Saturday, June 15, 2013

    एक मां अपने बच्चे को ढूंढ रही थी। बहुत देर तक जब वह नहीं मिला, तो वह रोने
    लगी और जोर-जोर से बच्चे का नामलेकर पुकारने लगी। कुछ समय बाद बच्चा दौड़ता
    हुआ उसके पास आ पहुंचा। मां ने पहले तो उसे गले से लगाया, जी भर कर लाड़ किया,
    फिर उसे डांटने लगी। उससे पूछा कि इतनी देर तक वह कहां छुपा हुआ था।

    बच्चे ने बताया, 'मां! मैं छुपा हुआ नहीं था, मैं तो बाहर की दुकान से गोंद
    लेने गया था। मां ने पूछा कि गोंद से क्या करना है, तो बच्चा भोलेपन से बोला,
    मैं उससे चाय की प्याली जोडूंगा। वह टूट गई है।

    मां ने आगे पूछा, टूटी प्याली जोड़ कर क्या करोगे? वह तो बहुत खराब दिखेगी।
    तब बच्चे ने भोलेपन से कहा, जब तुम बूढ़ी हो जाओगी तो उसी कप में तुम्हें चाय
    पिलाया करूंगा। यह सुन कर मां पसीने-पसीने हो गई। कुछ पल तक तो उसे समझ ही
    नहीं आया कि वह क्या करे?

    फिर होश संभालते ही उसने बच्चे को गोद में बिठाया और प्यार से कहा, बेटा! ऐसी
    बातें नहीं करते। बड़ों का सम्मान करते हैं। उनसे ऐसा व्यवहार नहीं करते।
    देखो, तुम्हारे पापा कितनी मेहनत करते हैं ताकि तुम अच्छे स्कूल में जा सको।
    मम्मी तुम्हारे लिए तरह-तरह के भोजन बनाती है। सब लोग तुम्हारा ख्याल रखते हैं
    ताकि जब वे बूढ़े हो जाएं तो तुम उनका सहारा बनो........

    बच्चे ने मां की बात बीच में ही काटते हुए कहा, 'लेकिन मां! क्या दादा-दादी ने
    भी यही नहीं सोचा होगा, जब वे पापा को पढ़ाते होंगे? आज जब दादी से गलती से
    चाय का कप टूट गया तो तुम कितने जोर से चिल्लाई थीं। इतना गुस्सा किया था आपने
    कि दादा जी को आपसे दादी के लिए माफी मांगनी पड़ी। पता है मां, आप तो कमरे में
    जा कर सो गईं, लेकिन दादी बहुत देर तक रोती रहीं। मैंने वहकप संभाल कर रख लिया
    है, और अब मैं उसे जोड़ दूंगा।

    kuchkhaskhabar@gmail.com

    ( Arun Kumar--9868716801)

  21. क्या आप बी अपनी भाषा में लिखना चाहते हो ,तो आप लिख सकते हो , बस आप
    कुछ इंग्लिश आती हो .मेरे ब्लॉग ( www.kuchkhaskhabar.blogspot.in )कुछ
    खास खबर में जो विजेट ( लिखिए अपनी भाषा में में लगा है ) आप इस से 15
    भाषा में लिख सकते हो, बस आप अपनी भाषा पर क्लिक करो और जो बी लिखना है
    लिखो, जेसे मैंने 15 भाषा में कुछ खास खबर लिखा है, आप को इस बॉक्स
    में इंग्लिश में लिखना होगा जे बॉक्स अपने आप आप की भाषा लिखा में लिख
    देगा,

    English-------aap kha rehte ho

    Hindi----------आप कहा रहते हो



    English ------------------ kuch khas khabar


    1) Hindi ------------कुछ खास खबर

    2) Bengali-----------কুচ খাস খাবার

    3) Greek-------------κοχ χας χάβαρ

    4) Gujarati---------- કુચ ખાસ ખબર

    5) Kannada--------- ಕುಚ್ ಖಾಸ್ ಖಬರ್

    6) Malayalam------ കുച്ച് ഖസ ഖബര്

    7) Marathi----------- कूच खास खबर

    8) Nepali------------- कुच खस खबर

    9) Punjabi-------------ਕੁਛ ਖਾਸ ਖਬਰ

    10) Russian-----------кух хас хабар

    11) Sanskrit-----------कुच खास खबर

    12) SarBian-----------куч хас хабар

    13) Tamil----------------குச் க்ஹஸ் க்ஹபர்

    14) Telugu---------------కుచ్ ఖాస్ ఖబర్

    15) Urdu ----------------کچھ خاص خبر


    kuchkhaskhabar@gmail.com

  22. आज में आप को एक बोहत अच्छी जानकारी देने जा रहा हु . अगर आप का आधार
    कार्ड गुम हो जाता है, तो, जा फिर बनाने के बाद आता ही नहीं है, जा
    फिर 6 महीने के बाद आता है , तो
    आप फिर बी अपना आधार कार्ड आज ही ले सकते हो , बस आप को कुछ मेहनत करनी है ,

    Note.. जब आप आधार कार्ड बनबाने जाते हो तो आप को एक स्लिप दी जाती है बस
    बो सिल्प आप के पास हो तो आप अपना आधार कार्ड प्राप्त kar सकते हो,


    1) सब से पहले आप को इस वेबसाइट पर जाना होगा,

    http://eaadhaar.uidai.gov.in/eDetails.aspx

    2) Slip Me Di huye Jnakari aap Ko is Website Me dene Hogi .Or SubMit
    Par Click Karna

    Hoga .

    3) Click Krte Hi aap Ko apne Mobile Par EK Code aye ga .

    Jo Mobile NO aap NE Slip ME Deya Huya Hai .Is Code KO aap Ne WEbsite
    ME dena Hoga .

    4) Fir AAp apna आधार कार्ड Download Kar Sakte Ho .Or Print Le Sakte Ho .

    Note--- Agar AAp ke Mobile Par Code Nahi Ata hai TO aap apna No fir SE
    De Sakte Ho .Is

    Mobile No Par Par aap ko Code Mil Jaye ga .

    Kuchkhaskhabar@gmail.com

    09988060863

    Munish Kumar Garg

  23. एक बार एक भला आदमी नदी किनारे बैठा था। तभी उसने देखा एक बिच्छू पानी में गिर
    गया है। भले आदमी ने जल्दी से बिच्छू को हाथ में उठा लिया। बिच्छू ने उस भले
    आदमी को डंक मार दिया। बेचारे भले आदमी का हाथ काँपा और बिच्छू पानी में गिर
    गया।

    भले आदमी ने बिच्छू को डूबने से बचाने के लिए दुबारा उठा लिया। बिच्छू ने
    दुबारा उस भले आदमी को डंक मार दिया। भले आदमी का हाथ दुबारा काँपा और बिच्छू
    पानी में गिर गया।

    भले आदमी ने बिच्छू को डूबने से बचाने के लिए एक बार फिर उठा लिया। वहाँ एक
    लड़का उस आदमी का बार-बार बिच्छू को पानी से निकालना और बार-बार बिच्छू का डंक
    मारना देख रहा था। उसने आदमी से कहा, "आपको यह बिच्छू बार-बार डंक मार रहा है
    फिर भी आप उसे डूबने से क्यों बचाना चाहते हैं?"

    भले आदमी ने कहा, "बात यह है बेटा कि बिच्छू का स्वभाव है डंक मारना और मेरा
    स्वभाव है बचाना। जब बिच्छू एक कीड़ा होते हुए भी अपना स्वभाव नहीं छोड़ता तो
    मैं मनुष्य होकर अपना स्वभाव क्यों छोड़ूँ?" -

    kuchkhaskhabar@gmail.com

    ( Arun Kumar-9868716801)

  24. डाइनिंग टेबल पर खाना देखकर बच्चा भड़का फिर वही सब्जी,रोटी और दाल में
    तड़का....?

    मैंने कहा था न कि मैं पिज्जा खाऊंगा रोटी को बिलकुल हाथ नहीं लगाउंगा
    बच्चे ने थाली उठाई और बाहर गिराई.......?

    बाहर थे कुत्ता और आदमी दोनों रोटी की तरफ लपके .......?

    कुत्ता आदमी पर भोंका आदमी ने रोटी में खुद को झोंका और हाथों से दबाया
    कुत्ता कुछ भी नहीं समझ पाया उसने भी रोटी के दूसरी तरफ मुहं लगाया दोनों
    भिड़े जानवरों की तरह लड़े

    एक तो था ही जानवर,दूसरा भी बन गया था जानवर.....
    आदमी ज़मीन पर गिरा,कुत्ता उसके ऊपर चढ़ा कुत्ता गुर्रा रहा था

    और अब आदमी कुत्ता है या कुत्ता आदमी है कुछ भी नहीं समझ आ रहा था
    नीचे पड़े आदमी का हाथ लहराया,हाथ में एक पत्थर आया कुत्ता कांय-कांय करता
    भागा........

    आदमी अब जैसे नींद से जागा हुआ खड़ा और लड़खड़ाते कदमों से चल पड़ा.....
    वह कराह रहा था रह-रह कर हाथों से खून टपक रहा था बह-बह कर आदमी एक झोंपड़ी पर

    पहुंचा..झोंपड़ी से एक बच्चा बाहर आया और ख़ुशी से चिल्लाया
    आ जाओ, सब आ जाओ बापू रोटी लाया, देखो बापू रोटी लाया, देखो बापू

    रोटी लाया........

    kuchkhaskhabar@gmail.com

    ( Arun Kumar-9868716801)

  25. आपने अपने आसपास ऐसे कई लोगों को देखा होगा, जो जिंदगीभर मर-मर कर कमाते हैं.
    एक-एक रुपया जोड़ते हैं, महंगी चीजें नहीं खरीदते, पसंद का खाना नहीं खाते.
    सोचते हैं कि अभी मैं कमा लूं, बचत कर लूं ताकि बुढ़ापे में यह रुपया मेरे काम
    आयेगा. तब मैं ऐशो-आराम से रहूंगा.

    यह सोच अच्छी है. बचत करना भी चाहिए, लेकिन क्या यह बचत खुशियों के बदले करना
    सही है? यहां मैं राधेश्याम बाबू का उदाहरण दूंगी. बचपन से लेकर जवानी तक
    उन्होंने खूब पढ़ाई की. वे बिल्कुल अपने पिताजी के नक्शे-कदम पर चल रहे थे.

    पिताजी की तरह कहीं भी फालतू रुपये बरबाद नहीं करते थे. उनकी सरकारी नौकरी भी
    लग गयी, वे और मेहनत करने लगे. दिन-रात फाइलों में लगे रहते. पत्नी-बच्चे कहते
    कि घर पर समय बिताओ. हमें घुमाने ले जाओ, तो वे एक ही जवाब देते. यह सब काम
    मैं तुम्हारे लिये ही तो कर रहा हूं. अभी रुपये जोड़ लूं ताकि बाद में हमें
    कोई परेशानी न हो. वैसे भी इधर-उधर घूमने-फिरने से रुपये बरबाद होंगे.

    55 साल की उम्र में वे 75 के दिखने लगे. ज्यादा काम करने की वजह से उनकी तबीयत
    खराब होने लगी. 60 साल की उम्र में वे रिटायर हो गये. इधर उनके बच्चों ने उनका
    साथ छोड़ दिया और दूसरे शहर में बस गये. पत्नी का स्वर्गवास हो गया. अब उनके
    पास ढेर सारे रुपये हैं, लेकिन उनकी घूमने-फिरने की उम्र जा चुकी है. बीमारी
    की वजह से वे कहीं नहीं जा सकते. दिन भर घर पर ही रहते है, उदास और अकेले.
    यह सोचने का विषय है कि हम आखिर किसके लिये कमाते है? मर-मर कर जीने के लिए?
    हमें समझना होगा कि भविष्य के लिए बचत जरूरी है, लेकिन खुशियों के बदले नहीं.

    इसे आजमायें, जब भी आपको सैलरी मिले या बिजनेस में मुनाफा हो.
    खुशियां मनायें. आधे रुपये बचत में डालें और आधे रुपयों से खुद को लाड़ करें.
    महीने में कम-से-कम एक बार अपनी आत्मा को तृप्त करने के लिए कोई काम करें.
    शॉपिंग करें, अच्छे महंगे होटल में जाकर खाना खायें, मसाज, मेनिक्योर,
    पेडिक्योर करायें. वीकेंड मनाने कही जायें. होटल में बाथ टब में रिलैक्स करें.
    इस तरह आप काम करने के लिए खुद को तैयार भी कर लेंगे और इन्जॉयमेंट भी हो
    जायेगा.

    बात पते की

    अपनी सफलता का जश्न मनायें. रुपयों को तिजोरी में कैद कर के रखेंगे, तो उसकी
    कीमत सिर्फ कागज के टुकड़े की रह जायेगी.

    हम रुपये अपनी खुशी के लिए कमाते हैं. अगर वहीं नहीं मिली, तो रुपये कमाना
    बेकार है. खुद से प्यार करें, अपनी खुशी के लिए रुपये खर्च करें.

    kuchkhaskhabar@gmail.com

    ( Arun Kumar-9868716801)

  26. रेलवे के बाद सबसे ज्यादा लोगों को नौकरी देने वाले सहारा ग्रुप के
    मुखिया सुब्रत रॉय सहारा का आज जन्मदिन है। 10 जून 1948 को पैदा हुआ यह
    दिग्गज कारोबारी सुब्रत आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। इस नामचीन
    इंसान के जन्मदिन के मौके पर हम आपको सहारा के फर्श से अर्श पर पहुंचने
    की कहानी बता रहे हैं।

    हम आपको सुब्रत राय सहारा की जिंदगी के उस सफर पर ले चलते हैं जहां वो
    20-20 रुपये लेकर आज अरबों का साम्राज्य खड़ा कर चुके हैं।

    सुब्रत शुरू से ही पढ़ाई में कमजोर थे। उनका मन पढ़ने से ज्यादा बिजनेस
    करने में लगता था। एक छोटे से शहर से बिजनेस शुरू करने वाले इस शख्स ने
    34 साल में दुनिया भर में अपना कारोबार फैला लिया। जब सहारा घर से निकले
    थे तो उनके पास केवल 2000 रुपये ही जेब में थे, लेकिन आज वो 2 लाख करोड़
    से भी ज्यादा के ग्रुप का मालिक हैं।

    अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर कैसे सुब्रत राय सहारा ने इतनी दौलत कमाई।
    कैसे गोरखपुर के एक छोट से शहर से वो इतने बड़े पायदान पर पहुंच गए। किस
    मकसद से सहारा ने अपने स्कूल के 100 के दोस्तों को खोज-खोज कर नौकरी पर
    रखा। जानिए गोरखपुर से लेकर 2 लाख करोड़ रुपये के मालिक बनने तक सहारा की
    पूरी कहानी।

    सुब्रत रॉय सहारा का जन्म 10 जून, 1948 को बिहार के अररिया जिले में हुआ
    था। उनके पिता का नाम सुधीर चंद्र रॉय और माता का नाम छवि रॉय था।
    कोलकाता में शुरुआती शिक्षा-दीक्षा लेने के बाद उन्होंने गोरखपुर के एक
    सरकारी कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। दिलचस्प है कि सहारा
    श्री ने अपना पहला कारोबार गोरखपुर से ही शुरू किया।

    बंगाली मूल के सहारा प्रमुख सुब्रत ऱॉय खुद को सहारा श्री कहलाना पसंद
    करते हैं। 1978 में 2000 रुपये से शुरू किया गया उनका बिजनेस आज हजारों
    करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। उनके पुराने जानने वाले बताते हैं कि
    उन्होंने एक स्कूटर के साथ अपना सफर शुरू किया था। तब दिन में 100 रुपये
    कमाने वाले लोग उनके पास 20 रुपये जमा कर जाते थे।

    सहारा प्रमुख दोस्तों के दोस्त भी हैं। बॉलीवुड स्टार अमिताभ बच्चन से
    उनकी दोस्ती बिग बी के बुरे समय में हुई थी। तब उन्होंने बिग बी की मदद
    भी की थी। वह कहते हैं कि उन्हें अपने पिता से ऐसी शिक्षा मिली है।

    लगातार सफलता को अपने सफर में सुब्रत रॉय कई बार विवादों में भी आए।
    सुब्रत ईश्वर और किस्मत में गहरी आस्था रखते हैं। वे अपनी सफलता का श्रेय
    अपनी मेहनत के अलावा ईश्वर की कृपा और अपनी अच्छी किस्मत को भी देते हैं।
    वह अपने आप को आशावादी भी मानते हैं।

    सहारा प्रमुख अपने बचपन में सेना में जाना चाहते थे। वह सेना की भर्ती
    में भी गए थे, बस भर्ती नहीं हुए। सेना की वर्दी से उन्हें इतना लगाव है
    कि स्कूली दिनों में वह एनसीसी कैडेट भी रहे हैं। सुब्रत के मुताबिक जो
    आदमी सिर्फ अपने भले के लिए काम करेगा, वह आगे नहीं बढ़ सकता है। अपने
    साथ ही दूसरों का भी भला करने की चाहत ही लोगों को आगे बढ़ाती है।

    पढ़ने-लिखने में कमजोर रहे सहारा प्रमुख ने स्वप्ना रॉय से प्रेम विवाह
    किया है। इस यूनिवर्सिटी टॉपर पर उनका दिल आ गया था। दोनों का अफेयर करीब
    छह साल तक चला था। उनकी पत्नी ने उनकी अंग्रेजी सुधारने में भी मदद की
    है।

    सुब्रत रॉय हिंदी फिल्मों के शौकीन हैं। उन्हें कई पुराने गीत पसंद हैं।
    एक जमाने में उन्हें वहीदा रहमान बहुत अच्छी लगती थीं, लेकिन जब तक वह
    उनसे मिले तो वहीदा के बाल सफेद हो चुके थे। इसके बावजूद रॉय ने उन्हें
    अपने दिल की बात बताई थी। देवानंद उनके पसंदीदा अभिनेता रहे हैं।
    उन्होंने देवानंद की फिल्म 'गाइड' कम से कम 11 बार देखी है। वह खुद को
    रोमांटिक भी मानते हैं और कहते हैं कि उनका अपने काम से भी रोमांस है।

    सुब्रत रॉय के साथ उनके स्कूल, कॉलेज टाइम के करीब 100 दोस्त भी काम करते
    हैं। रॉय कहते हैं कि उन्होंने इन सभी को बड़ी मुश्किल से खोज कर निकाला
    और अपने साथ काम करने का मौका दिया।

    'टाइम' मैगजीन ने सहारा को भारतीय रेलवे के बाद दूसरी सबसे ज्यादा नौकरी
    देने वाली संस्था बताया था। 'इंडिया टुडे' ने उनका नाम देश के 10 सबसे
    ताकतवर लोगों में शामिल किया था।

    सहारा श्री अक्सर नामी हस्तियों के साथ देखे जा सकते हैं। साथ ही, वह
    इसके अलावा उन लोगों से मिलना भी पसंद करते हैं, जो अपनी जिंदगी में
    मेहनत के दम से आगे बढ़े हों। भले ही उन्हें उनकी मेहनत और कामयाबी के
    अनुसार प्रसिद्धि न मिली हो।

    दुनिया भर में अपना कारोबार फैला चुके सहारा ग्रुप का अलग-अलग कई
    सेक्टरों में पैसा लगा हुआ है। सुब्रत राय सहारा का बिजनेस फाइनेंस,
    इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड हाउसिंग, मीडिया एंड एंटरटेनमेंट, कंज्यूमर रिटेल
    वेंचर, मैन्युफैक्चरिंग और आईटी सेक्टर में फैला हुआ है। हाल में ही
    सहारा ने न्यूयॉर्क में 4400 करोड़ रुपये में दो होटल खरीदे हैं। खरीदे
    गए दोनों ही होटल न्यूयॉर्क प्लाजा और ड्रीम न्यूयॉर्क दुनिया के नामी
    होटलों में शामिल हैं।

    कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले उन्होंने अपने नाम से विज्ञापन देकर देश की
    इज्जत का हवाला देकर इसकी जांच टालने की अपील की थी। सहारा परिवार ने
    पिछले साल 10 मई को विज्ञापन देकर सुब्रत रॉय के सुप्रीम कोर्ट की
    अवमानना के नोटिस वाली खबर पर भी हैरानी जताई थी।

    करीब 2.82 लाख करोड़ रुपये के इस ग्रुप के मालिक के बतौर संपत्ति, 1702
    करोड़ रुपये की आईपीएल टीम, बांग्लादेश में हाउसिंग सेक्टर में निवेश,
    550 करोड़ निवेश के साथ सहारा फोर्स इंडिया टीम में 42 फीसदी स्टेक, 3000
    करोड़ के निवेश के साथ सहारा क्यू शॉप, करीब 21 हजार करोड़ की पावर कंपनी
    सहित कई हजार करोड़ रुपये की संपत्ति है।

    सहारा श्री के पास मुंबई के एंबी वैली में 313 एकड़ जमीन का डेवलपमेंट
    राइट, मुंबई के वर्सोवा में 106 एकड़ की जमीन, लखनऊ में 191 एकड़ जमीन,
    देश के 10 अलग-अलग शहरों में 764 एकड़ जमीन, एंबी वैली लिमिटेड के 1
    करोड़ 51 लाख शेयर, लखनऊ के जियामऊ में 170 एकड़ जमीन और सहारा
    इन्फ्रास्ट्रक्चर और हाउसिंग के 204 करोड़ रुपये के शेयर हैं।

  27. ई-मेल आईडी हैक करने के बाद हैकर्स संबंधित फर्म से मिलती-जुलती ईमेल
    आईडी बना लेते हैं। लेनदेन से संबंधित मेल से भेजे गए मैसेज पढ़ते रहते
    हैं और जब भुगतान का समय आता है तो भुगतान करने वाली फर्म को खरीदार फर्म
    बन कर मेल करते हैं और भुगतान के लिए अपना एकाउंट नंबर दे देते हैं।

    भुगतान क्रेडिट होने के बाद उसे निकाल कर किसी और फर्म से ठगी में लग
    जाते हैं। चंदौसी में छह महीने के भीतर दो मैंथा फर्मों को इसी तरह से
    निशाना बनाया जा चुका है। इसमें एक में कामयाबी मिली दूसरी में सतर्कता
    ने ठगी से बचाया।

    सावधानी से हो सकता है बचाव
    ठगी से बचने का एक मात्र उपाय है स्वयं की सतर्कता। जिन फर्मों से ई-मेल
    पर सौदे हो रहे हैं उनसे एडवांस पेमेंट लेने के बाद माल डिस्पैच करें तो
    भुगतान का कोई जोखिम नहीं रहेगा। ई-मेल आईडी हैक कर पेमेंट अपने खाते में
    मंगा लेने के कई मामले सामने आ चुके हैं। अधिकतर लेनदेन बैंक के माध्यम
    से करें।
    अंकुर अग्रवाल, सचिव मैंथा एसोसिएशन।

    ये भी कर सकते हैं

    सिर्फ ई-मेल के सहारे न रहें

    बैंक डिटेल के बारे में फैक्स करें

    भुगतान को लेकर अपने एकाउंट नंबर की जानकारी फैक्स के माध्यम से दें

    भुगतान लेते-देते समय खरीदार और विक्रेता आपस में बात करें

    भुगतान क्रेडिट कराते समय एक बार एहतियाती तौर पर संबंधित फर्म से फोन पर
    संवाद करें

    फोन पर बातचीत और फैक्स पर संदेश मिलने के बाद खाता संख्या की पुष्टि करें

    सतर्कता के कुछ और एहतियाती उपाय क्रेता-विक्रेता दोनों आपसी बातचीत करके
    अपना सकते हैं।

    kuchkhaskhabar@gmail.com

  28. एक बार की बात है . एक व्यक्ति को रोज़-रोज़ जुआ खेलने की बुरी आदत पड़ गयी थी.
    उसकी इस आदत से सभी बड़े परेशान रहते. लोग उसे समझाने कि भी बहुत कोशिश करते
    कि वो ये गन्दी आदत छोड़ दे , लेकिन वो हर किसी को एक ही जवाब देता, " मैंने
    ये आदत नहीं पकड़ी, इस आदत ने मुझे पकड़ रखा है !!!"

    और सचमुच वो इस आदत को छोड़ना चाहता था , पर हज़ार कोशिशों के बावजूद वो ऐसा
    नहीं कर पा रहा था.

    परिवार वालों ने सोचा कि शायद शादी करवा देने से वो ये आदत छोड़ दे , सो उसकी
    शादी करा दी गयी. पर कुछ दिनों तक सब ठीक चला और फिर से वह जुआ खेलने जाना
    लगा. उसकी पत्नी भी अब काफी चिंतित रहने लगी , और उसने निश्चय किया कि वह किसी
    न किसी तरह अपने पति की इस आदत को छुड़वा कर ही दम लेगी.

    एक दिन पत्नी को किसी सिद्ध साधु-महात्मा के बारे में पता चला, और वो अपने पति
    को लेकर उनके आश्रम पहुंची. साधु ने कहा, " बताओ पुत्री तुम्हारी क्या समस्या
    है ?"

    पत्नी ने दुखपूर्वक सारी बातें साधु-महाराज को बता दी .

    साधु-महाराज उनकी बातें सुनकर समस्या कि जड़ समझ चुके थे, और समाधान देने के
    लिए उन्होंने पति-पत्नी को अगले दिन आने के लिए कहा .

    अगले दिन वे आश्रम पहुंचे तो उन्होंने देखा कि साधु-महाराज एक पेड़ को पकड़ के
    खड़े है .

    उन्होंने साधु से पूछा कि आप ये क्या कर रहे हैं ; और पेड़ को इस तरह क्यों
    पकडे हुए हैं ?

    साधु ने कहा , " आप लोग जाइये और कल आइयेगा ."

    फिर तीसरे दिन भी पति-पत्नी पहुंचे तो देखा कि फिर से साधु पेड़ पकड़ के खड़े
    हैं .

    उन्होंने जिज्ञासा वश पूछा , " महाराज आप ये क्या कर रहे हैं ?"

    साधु बोले, " पेड़ मुझे छोड़ नहीं रहा है .आप लोग कल आना ."

    पति-पत्नी को साधु जी का व्यवहार कुछ विचित्र लगा , पर वे बिना कुछ कहे वापस
    लौट गए.

    अगले दिन जब वे फिर आये तो देखा कि साधु महाराज अभी भी उसी पेड़ को पकडे खड़े
    है.

    पति परेशान होते हुए बोला ," बाबा आप ये क्या कर रहे हैं ?, आप इस पेड़ को
    छोड़ क्यों नहीं देते?"

    साधु बोले ,"मैं क्या करूँ बालक ये पेड़ मुझे छोड़ ही नहीं रहा है ?"

    पति हँसते हुए बोला , "महाराज आप पेड़ को पकडे हुए हैं , पेड़ आप को नहीं
    !….आप जब चाहें उसे छोड़ सकते हैं."

    साधू-महाराज गंभीर होते हुए बोले, " इतने दिनों से मै तुम्हे क्या समझाने कि
    कोशिश कर रहा हूँ .यही न कि तुम जुआ खेलने की आदत को पकडे हुए हो ये आदत
    तुम्हे नहीं पकडे हुए है!"

    पति को अपनी गलती का अहसास हो चुका था , वह समझ गया कि किसी भी आदत के लिए वह
    खुद जिम्मेदार है ,और वह अपनी इच्छा शक्ति के बल पर जब चाहे उसे छोड़ सकता है.

    ( Arun Kumar-9868716801)

    kuchkhaskhabar@gmail.com

  29. एक बादशाह ने दो गुलाम सस्ते दाम में खरीदे। एक से बातचीत की तो वह गुलाम
    बड़ा बुद्धिमान और मीठा बोलने वाला मालूम हुआ, और जब होठ ही मिठास के बने
    हुए हों तो उनमें शरबत को छोड़ और क्या निकलेगा? मनुष्य की मनुष्यता उसकी
    वाणी में भरी हुई है। जब इस गुलाम की परीक्षा कर चुका तो दूसरे को पास
    बुलाकर बादशाह ने देखा कि इसके दांत काले-काले हैं और मुंह गन्दा है।
    बादशाह इसके चेहरे को देखकर खुश नहीं हुआ, परन्तु उसकी योग्यता और गुणों
    की जांच करने लगा।

    पहले गुलाम को तो उसने कह दिया कि जा, और नहा-धोकर आ। दूसरे से कहा, ''तू
    अपना हाल सुना। तू अकेला ही सौ गुलामों के बराबर है। तू ऐसा मालूम नहीं
    होता, जैसा तेरे साथी ने कहा था और उसने हमें तेरी तरफ से बिल्कुल निरश
    कर दिया था।''

    गुलाम ने जवाब दिया, ''यह बड़ा सच्चा आदमी है। इससे ज्यादा भला आदमी
    मैंने कोई नहीं देखा। यह स्वभाव से ही सत्यवादी है। इसलिए इसने जो मेरे
    संबंध में कहा है, यदि ऐसा ही मैं इसके बारे में कहूं तो झूठा दोष लगाना
    होगा।

    मैं इस भले आदमी की बुराई नहीं करुंगा। इससे तो यही अच्छा है कि अपने को
    दोषी मान लूं। बादशाह सलामत! सम्भव है कि वह मुझमें जो ऐब देखता हैं, वह
    मुझे खुद न दीखते हों।''

    बादशाह ने कहा, ''तू भी इसके अवगुणों का बखान कर, जैसा कि इसने तेरे
    दोषों का किया है, जिससे मुझे इस बात का विश्वास हो जाये कि तू मेरा
    हितैशी है और शासन के प्रबन्ध में मेरी सहायता कर सकता है।''

    गुलाम बोला, ''बादशाह सलामत! इस दूसरे गुलाम में नम्रता और सच्चाई हैं।
    वीरता और उदारता भी ऐसी है कि मौका पड़ने पर प्राण तक न्यौछावर कर सकता
    है। चौथी बात यह है कि वह अभिमानी नहीं और स्वयं ही अपने अवगुण प्रकट कर
    देता है। दोषों को प्रकट करना और ऐब ढ़ूंढ़ना हालांकि बुरा है तो भी वह
    दूसरे लोगों के लिए अच्छा है और अपने लिए बुरा हे।''

    बादशाह ने कहा, ''अपने साथी की प्रशंसा में अति न कर और दूसरे की प्रशंसा
    के सहारे अपनी प्रशंसा न कर, क्योंकि यदि परीक्षा के लिए इसे मैं तेरे
    सामने बुलाऊं तो तुझको लज्जित होना पड़ेगा।''
    गुलाम ने कहा, ''नहीं, मेरे साथी के सदगुण इससे भी सौ गुने हैं। जो कुछ
    मैं अपने मित्र के संबंध में जानता हूं, यदि आपको उसपर विश्वास नहीं तो
    मैं और क्या निवेदन करूं!''

    इस तरह बहुत-सी बातें करके बादशाह ने उस कुरूप गुलाम की अच्छी तरह
    परीक्षा कर ली और जब पहला गुलाम स्नान करके बाहर आया तो उसको अपने पास
    बुलाया। बदसूरत गुलाम को वहां से बिदा कर दिया। उस सुन्दर गुलाम के रूप
    और गुणों की प्रशंसा करके कहा, ''मालूम नहीं, तेरे साथी को क्या हो गया
    था कि इसने पीठ-पीछे तेरी बुराई की!''

    इसगुलाम ने भौं चढ़ाकर कहा, ''ऐ दयासागर! इस नीच ने मेरे बारे में जो कुछ
    कहा; उसका जरा-सा संकेत तो मुझे मिलना चाहिए।''

    बादशाह ने कहा, ''सबसे पहले तेरे दोगलेपन का जिक्र किया कि तू प्रकट में
    दवा और अन्तर में दर्द है।''
    जब इसने बादशाह के मुंह से ये शब्द सुने तो इसका क्रोध भड़क उठा, चेहरा
    तम-तमाने लगा और अपने साथी के संबंध में जो कुछ मुंह में आया, बकने लगा।
    बुराइयां कतरा ही चला गया तो बादशाह ने इसके होंठों पर हाथ रख दिया कि
    बस, हद हो गयी। तेरी आत्मा गन्दी है और उसका मुंह गन्दा है। ऐ गन्दी
    आत्मावाले! तू दूर बैठ। वह गुलाम अधिकारी बने और तू उसके अधीन रह।

    [याद रखो, सुन्दर और लुभावना रूप होते हुए भी यदि मनुष्य में अवगुण हैं
    तो उसका मान नहीं हो सकता। और यदि रूप बुरा, पर चरित्र अच्छा है तो उस
    मनुष्य के चरणों में बैठकर प्राण विसर्जन कर देना भी श्रेष्ठ है।

    kuchkhaskhabar@gmail.com

  30. बोहत बार हमारे कंप्यूटर में किसी फाइल का डुप्लीकेट फाइल बन कर डंप हो
    जाता है ,बो डुप्लीकेट फाइल का हमे पता ही नहीं चलता की बो कहा पर स्टोर
    है ,

    अगर हम इस को डिलीट करना चाहते है ,तो हमे अपने पुरे कंप्यूटर में देखना
    होगा जिस से हमें बोहत टाइम लगे गा, में आप को एक सॉफ्टवेर के बारे में
    बताता हु.जे सॉफ्टवेर अपने आप डुप्लीकेट फाइल को खोज कर डिलीट कर देता है
    .

    डाउनलोड सॉफ्टवेर

    http://www.digitalvolcano.co.uk/duplicatecleaner.html

    kuchkhaskhabar@gmail.com

  31. दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है
    मिल जाये तो मिट्टी है खो जाये तो सोना है

    अच्छा-सा कोई मौसम तन्हा-सा कोई आलम
    हर वक़्त का रोना तो बेकार का रोना है

    बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने
    किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है

    ग़म हो कि ख़ुशी दोनों कुछ देर के साथी हैं
    फिर रस्ता ही रस्ता है हँसना है न रोना है

    ये वक्त जो तेरा है, ये वक्त जो मेरा
    हर गाम पर पहरा है, फिर भी इसे खोना है

    आवारा मिज़ाजी ने फैला दिया आंगन को
    आकाश की चादर है धरती का बिछौना ह.

    kuchkhaskhabar@gmail.com

    ( Arun Kumar-9868716801)

  32. एक था रौनक। जैसा नाम वैसा रूप। अकल में भी उसका मुकाबला कोई नहीं कर सकता था। एक दिन उसने घर के बाहर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा- 'यहां अकल बिकती है।'

    उसका घर बीच बाजार में था। हर आने-जाने वाला वहां से जरूर गुजरता था। हर कोई बोर्ड देखता, हंसना और आगे बढ़ जाता। रौनक को विश्वास था कि उसकी दुकान एक दिन जरूर चलेगी।

    एक दिन एक अमीर महाजन का बेटा वहां से गुजरा। दुकान देखकर उससे रहा नहीं गया। उसने अंदर जाकर रौनक से पूछा- 'यहां कैसी अकल मिलती है और उसकी कीमत क्या है? '

    उसने कहा- 'यह इस बात पर निर्भर करता है कि तुम इस पर कितना पैसा खर्च कर सकते हो।'

    गंपू ने जेब से एक रुपया निकालकर पूछा- 'इस रुपए के बदले कौन-सी अकल मिलेगी और कितनी?'

    'भई, एक रुपए की अकल से तुम एक लाख रुपया बचा सकते हो।'

    गंपू ने एक रुपया दे दिया। बदले में रौनक ने एक कागज पर लिखकर दिया- 'जहां दो आदमी लड़-झगड़ रहे हों, वहां खड़े रहना बेवकूफी है।'


    गंपू घर पहुंचा और उसने अपने पिता को कागज दिखाया। कंजूस पिता ने कागज पढ़ा तो वह गुस्से से आगबबूला हो गया। गंपू को कोसते हुए वह पहुंचा अकल की दुकान। कागज की पर्ची रौनक के सामने फेंकते हुए चिल्लाया- 'वह रुपया लौटा दो, जो मेरे बेटे ने तुम्हें दिया था।'

    रौनक ने कहा- 'ठीक है, लौटा देता हूं। लेकिन शर्त यह है कि तुम्हारा बेटा मेरी सलाह पर कभी अमल नहीं करेगा।'

    कंजूस महाजन के वादा करने पर रौनक ने रुपया वापस कर दिया।

    उस नगर के राजा की दो रानियां थीं। एक दिन राजा अपनी रानियों के साथ जौहरी बाजार से गुजरा। दोनों रानियों को हीरों का एक हार पसंद आ गया। दोनों ने सोचा- 'महल पहुंचकर अपनी दासी को भेजकर हार मंगवा लेंगी।' संयोग से दोनों दा‍सियां एक ही समय पर हार लेने पहुंचीं। बड़ी रानी की दासी बोली- 'मैं बड़ी रानी की सेवा करती हूं इसलिए हार मैं लेकर जाऊंगी'

    दूसरी बोली- 'पर राजा तो छोटी रानी को ज्यादा प्यार करते हैं, इसलिए हार पर मेरा हक है।'

    गंपू उसी दुकान के पास खड़ा था। उसने दासियों को लड़ते हुए देखा। दोनों दासियों ने कहा- 'वे अपनी रानियों से शिकायत करेंगी।' जब बिना फैसले के वे दोनों जा रही थीं तब उन्होंने गंपू को देखा। वे बोलीं- यहां जो कुछ हुआ तुम उसके गवाह रहना।'

    दासियों ने रानी से और रानियों ने राजा से शिकायत की। राजा ने दासियों की खबर ली। दासियों ने कहा- 'गंपू से पूछ लो वह वहीं पर मौजूद था।'

    राजा ने कहा- 'बुलाओ गंपू को गवाही के लिए, कल ही झगड़े का निपटारा होगा।'


    इधर गंपू हैरान, पिता परेशान। ‍आखिर दोनों पहुंचे अकल की दुकान। माफी मांगी और मदद भी।

    रौनक ने कहा- 'मदद तो मैं कर दूं पर अब जो मैं अकल दूंगा, उसकी ‍कीमत है पांच हजार रुपए।

    मरता क्या न करता? कंजूस पिता के कुढ़ते हुए दिए पांच हजार। रौनक ने अकल दी कि गवाही के समय गंपू पागलपन का नाटक करें और दासियों के विरुद्ध कुछ न कहे।

    अगले दिन गंपू पहुंचा दरबार में। करने लगा पागलों जैसी हरकतें। राजा ने उसे वापस भेज दिया और कहा- 'पागल की गवाही पर भरोसा नहीं कर सकते।'

    गवाही के अभाव में राजा ने आदेश दिया- 'दोनों रानी अपनी दासियों को सजा दें, क्योंकि यह पता लगाना बहुत ही मुश्किल है कि झगड़ा किसने शुरू किया।'

    बड़ी रानी तो बड़ी खुश हुई। छोटी को बहुत गुस्सा आया।

    गंपू को पता चला कि छोटी रानी उससे नाराज हैं तो वह फिर अपनी सुरक्षा के लिए परेशान हो गया। फिर पहुंचा अकल की दुकान।

    रौनक ने कहा- 'इस बार अकल की कीमत दस हजार रुपए।'

    पैसे लेकर रौनक बोला- 'एक ही रास्ता है, तुम वह हार खरीद कर छोटी रानी को उपहार में दे दो।'

    गंपू सकते में आ गया। बोला- 'अरे ऐसा कैसे हो सकता है? उसकी कीमत तो एक लाख रुपए है।'

    रौनक बोला- 'कहा था ना उस दिन जब तुम पहली बार आए थे कि एक रुपए की अकल से तुम एक लाख रुपए बचा सकते हो।'

    इधर गंपू को हार खरीद कर भेंट करना पड़ा, उधर अकल की दुकान चल निकली। कंजूस महाजन सिर पीटकर रह गया।

    Kuchkhaskhabar@gmail.com

  33. आज एक कहानी : एक लालची वसीयत लिखता है की मरने पर उसका सारा पैसा क़ब्र
    मे उसके साथ दफ्न कर दिया जाये ! मृत्य के बाद लालची के बेटे ने क़ब्र मे
    एक लिफाफे के साथ लाश को दफ्न कर दिया ! आगे :

    अतिरिक्त जानकारी गाव वालों ने बेटे से पूछा की सेठ का सारा पैसा एक
    लिफाफे मे कैसे आ गया ? लालची सेठ के बेटे ने उत्तर दिया : मैने पिताजी
    का सारा पैसा बैंक मे अपने नाम जमा कर दिया, और पिताजी के नाम उस पैसे का
    एक चेक काट कर लिफाफे में क़ब्र के साथ रख दिया है , "पिताजी को अगर पैसा
    केश करना होगा तो स्वर्ग मे चेक केश करा लेंगे " |


    सीख : लालची इंसान वह चेक स्वर्ग से कभी केश ना करा पाया |

  34. मेलाराम के आँगन में एक आम का पेड़ लगा था। यह पेड़ बहुत पुराना था। मेलाराम
    का परिवार बढ़ जाने के कारण घर में जगह कम पड़ने लगी थी। अतः मेलाराम ने सोंचा
    की इस पेड़ को कटवा कर उस जगह एक कमरा बना लियाजाये। कल ही वह इस पेड़ को कटवा
    देगा यह सोंच कर वह आँगन में चारपाई डाल कर सो गया। आधी रात के समय मेलाराम को
    किसी की सिसकियाँ सुनाई पड़ी। वह इधर उधर देखने लगा। कहीं कोई नहीं था किन्तु
    रोने की आवाज़ आ रही थी। उसने ध्यान से सुना तो आवाज़ आम के पेड़ से आ रही थी।
    वह पेड़ के पास जाकर सुनने का प्रयास करने लगा। तभी पेड़ से आवाज़ आई "
    मेलारामतुम मुझे कटवा देना चाहते हो। आखिर क्यों? मेरा कुसूर क्या है?
    तुम्हारे जन्म से भी पहले तुम्हारे पिता ने आगन के कोने में मुझे लगाया था।

    मैंने तुम्हें बढ़ते हुए देखा है। याद है बचपन में कैसे तुम मेरी शाखों पर
    झूलते थे। गर्मियों के दिनों में मेरी शीतल छाया में आराम करते थे। मेरे रसदार
    फल तुम्हें आज भी अच्छे लगते हैं। सावन में जब तुम और तुम्हारे भाई बहन मेरी
    डाल पर झूला डाल कर झूलते थे तो मैं तुम सब को खुश देखकर और हरा हो जाता था।
    बचपन से मैंने तुम्हें कितना कुछ दिया है किन्तु बदले में कुछ नहीं माँगा। आज
    जब बाहर वायु इतनी दूषित है मैं तुम्हें प्राणदायक आक्सीजन देता हूँ। किन्तु
    मुझे कटवाने का फैसला तुमने बिना कुछ सोंचे ही ले लिया। कल जब तुम मुझे कटवा
    डोज तब भी मैं तुम्हें ढेर साड़ी लकडियाँ देकर जाउँगा।"

    मेलाराम हडबडा कर उठ गया। वह सपना देख रहा था। चारपाई पर बैठ कर वह स्वप्न के
    बारे में सोंचने लगा।

    सच ही तो है वृक्ष हमारे कितने काम आते हैं और हम बिना सोंचे समझे उन्हें काट
    रहे हैं। उसने निश्चय किया की वह पेड़ नहीं काटेगा वरन आँगन में एक और पौधा
    लगाएगा।

    kuchkhaskhabar@gmail.com

    (Arun Kumar-9868716801)

  35. एक किसान था | उसका एक बेटा था रामू | एक दिन ki बात है, किसान अपने खेत में
    काम कर रहा था | रामू भी वही था | पड़ोंसी के खेत में गाजर उगी हुई थी | रामू
    ने वहा जाकर एक गाजर खींचकर निकल ली | गाजर खींचते देख किसान अपने बेटे से
    बोला – "बेटा | वह खेत दुसरे किसान का है | तुमने उसके खेत से गाजर क्यों
    निकाली ??

    रामू बोला – "में जानता हु, यह हमारा नहीं है | यह खेत राधे काका का है, परंतु
    काका इस समय नहीं नहीं |" बेटे की बात सुन किसान बोला – "बेटा, राधे ने तुम्हे
    नहीं देखा, परंतु भगवान तो देख रहा है | वह सबको देखता है |" रामू को अपने
    पिता की कही बात समझ आ गई |

    एक बार की बात है, बरसात नहीं हुई | बरसात न होने से सभी किसानो के खेत सुख गए
    | खाने के लिए भी किसी के घर में अनाज नहीं था | सभी किसान बहुत परेशान थे |

    भूख से बेचेन रामू ka पिता सोचने लगा – "क्या करू? अनाज कंहा से लाऊ?" गाँव
    में केवल पड़ोसी राधे के खलियान में ही अनाज था | पिछले साल उसके खेत में गेहू
    की खूब पैदावार हुई थी | रामू के पिता ने राधे के खलियान से अनाज चोरी करने जी
    योजना बनाई |

    यह रात को दो बजे उठा | उसने अपने बेटे रामू को जगाया | दोनों राधे के खलियान
    पर पहुचे | किसान बोला –"बेटा, तुम देखते रहना | यदि कोई इस तरफ आए, तो मुझे
    जल्दी से बता देना |"

    बेटे को समझाकर किसान राधे के खलियान में धुस गया | जेसे ही किसान के अनाज
    उठाना शुरू किया, उसी समय रामू बोला –"पिता जी रुक जाइये |" किसान जल्दी से
    रामू के पास आकर बोला –"क्या कोई यहाँ आ रहा है या कोई देख रहा है?" रामू ने
    बड़े भोलेपन से कहा – "पिता जी! इस तरफ कोई आ तो नहीं रहा, लेकिन भगवान देख रहा
    है |"

    रामू के मुख से यह सुनकर किसान की गरदन शरम से झुक गई | उसका हाथ कापने लगा |
    अनाज की बोरी हाथ से छुट गई | वह बोला – "हा बेटे, भगवान तो देख ही रहा है |
    में भूल गया था | अच्छा हुआ तुमने याद दिला दिया | किसान ने अपने बेटे को छाती
    से लगा लिया और भगवान से माफी मागने लगा | फिर दोनों भगवान को याद करते हुए
    अपने घर की तरफ चल दिए |"



    --------सीख:------- भगवान हमारे अच्छे बुरे सभी कामो को देखता है, इसलिए
    कभी भी बुरा काम
    नहीं करना चाहिए
    |---------------------------------------------------------------------------------------------



    ( ArunKumar-9868716801)

  36. सब से पहले आप www.google.कॉम खोलो
    फिर सर्च बॉक्स में सर्च Google Gravity लिखे,
    और सर्च करो ,
    सर्च करते ही आप के सामने जे लाइन होगी ,
    Google Gravity - Mr.doob
    बस इस लाइन पर क्लिक कर दो,
    फिर देखो मेरा Google बाबा केसे डांस करता है ,

  37. कई बार हार्डडिस्क क्रैश होने या लैपटॉप के चोरी या खोने के बाद सबसे बड़ी
    टेंशन होती है डाटा कैसे हासिल किया जाए। पेनड्राइव में भी आप सीमित
    मात्रा में ही डाटा स्टोर कर सकते हैं। लेकिन अगर पेनड्राइव भी गुम जाए
    तो क्या करेंगे? ऐसे में ऑनलाइन डाटा स्टोरेज सबसे बेस्ट ऑप्शन है, जहां
    यूजर डाटा को सुरक्षित रख सकते हैं और उसे कभी भी-कहीं भी एक्सेस कर सकते
    हैं। जानिए कुछ बेस्ट ऑनलाइन डाटा स्टोरेज ऑप्शंस के बारे में..

    ADri1e

    एड्राइव उन कुछ चुनिंदा साइट्स में से एक है जो अपने बेसिक प्लान में
    मेंबर को पर्सनल यूज के लिए 50 जीबी स्टोरेज फ्री देती है। एड्राइव के
    वेब-इंटरफेस सॉफ्टवेयर में यूजर डाटा को स्टोर करने के अलावा एडिट भी कर
    सकते हैं। इसका फायदा यह है कि इसके लिए कोई सॉफ्टवेयर पीसी पर डाउनलोड
    नहीं करना पड़ता। वहीं डेस्कटॉप क्लाइंट को डाउनलोड करने का ऑप्शन सिर्फ
    पेड प्लांस में है। यूजर इसके फाइल मैनेजर विंडो में स्टोर डाटा को बड़ी
    आसानी से सर्च कर सकते हैं। वहीं एड्राइव मल्टीटॉस्किंग है, जहां यूजर
    अपलोडिंग के दौरान डाउनलोडिंग भी कर सकते हैं। एड्राइव पर यूजर एमएस ऑफिस
    शीट्स, फोल्डर्स, एप्लीकेशंस, फोटोग्राफ्स, म्यूजिक और वीडियो फाइल्स
    वगैरह स्टोर कर सकते हैं। वहीं डाटा की ऑनलाइन शेयरिंग का भी ऑप्शन है।
    एड्राइव की जोहो एडीटर एप्लीकेशन से यूजर वर्ड डॉक्यूमेंट को ऑनलाइन ही
    एडिट और सेव कर सकते हैं।

    वेब लिंक : 222.adri1e.com

    Badongo

    ऑनलाइन स्टोरेज में यह अकेली ऐसी साइट है जो फ्री में अनलिमिटेड ऑनलाइन
    स्टोरेज का ऑफर दे रही है। लेकिन इसमें पेंच यह है कि फ्री यूजर्स एक दिन
    में 4.8 जीबी डाटा ही डाउनलोड कर सकते हैं और डाउनलोडिंग स्पीड 500
    केबीपीएस तक ही सीमित रहती है। साथ ही एक बार में एक ही फाइल डाउनलोड कर
    सकते हैं। वहीं बाडोंगो में यूजर कई तरह से अपने अकाउंट को एक्सेस कर
    सकते हैं। यहां यूजर वेब फाइल मैनेजर के अलावा विंडोज, मैक पीसी या आईफोन
    पर भी एक्सेस कर सकते हैं। वेब फाइल मैनेजर पर यूजर फोल्डर बनाने के
    अलावा मल्टीपल फाइल्स भी अपलोड कर सकते हैं। वहीं डेस्कटॉप फाइल मैनेजर
    पर ड्रैग एंड ड्रॉप का भी ऑप्शन है।

    वेब लिंक : 222.badongo.com

    Bo3

    बॉक्स पर यूजर 5 जीबी से 50 जीबी तक का स्टोरेज फ्री पा सकते हैं, लेकिन
    यह निर्भर करता है यूजर के साइन-अप पर। अगर यूजर डेस्कटॉप साइन-अप का
    ऑप्शन चुनता है तो उसे 5 जीबी स्टोरेज फ्री मिलता है वहीं आईपैड एप को
    साइन-अप करने पर 50 जीबी स्टोरेज फ्री मिलता है। वहीं विंडोज या मैक यूज
    करने वाले डेस्कटॉप क्लाइंट्स के लिए सिंक का ऑप्शन नहीं है। बॉक्स की
    एंड्रॉयड, टेबलेट, आईफोन-आईपैड, ब्लैकबेरी या प्लेबुक एप्स भी उपलब्ध
    हैं। एप्स यूज करने वाले कंटेंट को अपलोड करने के अलावा ईमेल लिंक्स से
    फाइल्स शेयर भी कर सकते हैं। बॉक्स की खूबी है कि इसके वेब बेस्ड फाइल
    मैनेजर से यूजर पीसी से फाइल्स को ड्रेग या ड्रॉप कर सकते हैं। साथ ही
    फोल्डर क्रिएट करने के साथ-साथ गूगल डॉक्स की मदद से वर्ड या एक्सेल
    डॉक्यूमेंट्स भी बना सकते हैं।

    वेब लिंक : 222.bo3.com

    DropBo3

    ऑनलाइन स्टोरेज के मामले में ड्रॉपबॉक्स सबसे बेस्ट है। हालांकि
    ड्रॉपबॉक्स के बेसिक प्लान में यूजर को केवल 2 जीबी का स्टोरेज फ्री
    मिलता है। ड्रॉपबॉक्स पर फाइल शेयरिंग के साथ-साथ सिंक भी कर सकते हैं।
    ड्रॉपबॉक्स की सबसे बड़ी खूबी है कि यूजर डाटा को आईफोन-आईपैड, एंड्रॉयड,
    ब्लैकबेरी और सिंबियन एप्स से डिवाइसेज पर भी एक्सेस और अपलोड कर सकते
    हैं। हालांकि ड्रॉपबॉक्स पर 2 जीबी ही फ्री स्पेस मिलता है लेकिन
    फ्रेंड्स को इनवाइट करके मुफ्त में ही स्पेस बढ़ा सकते हैं। ड्रॉपबॉक्स
    को एक्सेस करने के लिए किसी ब्राउजर की जरूरत नहीं पड़ती। यूजर अगर ऑफलाइन
    है तो भी डेस्कटॉप पर सेव एप्लीकेशन ऑटोमेटिक सिंक करती रहेगी और ऑनलाइन
    होते ही ड्रॉपबॉक्स पर ऑटोमेटिक अपडेट हो जाएगा।

    वेब लिंक : 222.dropbo3.com

    Microsoft Sk4Dri1e

    फ्री में डाटा स्टोज चाहने वालों के लिए स्काइड्राइव भी अच्छा ऑप्शन है।
    स्काईड्राइव 25 जीबी का फ्री स्टोरेज देता है और विंडोज एक्सप्लोरर की
    तरह ही काम करता है। इसकी सबसे बड़ी खूबी है कि ऑफिस डॉक्यूमेंट्स को भी
    स्काइड्राइव के फाइल मैनेजर में ही क्रिएट और सेव किया जा सकता है। साथ
    ही यूजर फाइल्स को शेयर भी कर सकते हैं। स्काइड्राइव में भी हार्डड्राइव
    से फाइल्स को ड्रेग और ड्रॉप करने का ऑप्शन है। स्काईड्राइव को यूजर
    वेब-इंटरफेस साफ्टवेयर से ही एक्सेस कर सकते हैं। साथ ही यूजर विंडोज
    फोन, आईफोन पर स्काईड्राइव को एक्सेस कर सकते हैं। इसके अलावा यूजर एक
    बार में 50 एमबी की फाइल ही डाउनलोड या अपलोड कर सकते हैं। माइक्रोसॉफ्ट
    ऑफिस से स्काईड्राइव में मौजूद ऑफिस डॉक्यूमेंट्स को सीधे एडिट कर सकते
    हैं।

    वेब लिंक : sk4dri1e.li1e.com

    Glide Gdri1e

    माइक्रोसॉफ्ट स्काइड्राइव की तरह ग्लाइड में भी 30 जीबी फ्री ऑनलाइन
    स्टोरेज मिलता है। ग्लाइड में फाइल साइज अपलोडिंग या डाउनलोडिंग की बंदिश
    नहीं है। ग्लाइड को पीसी यूजर्स किसी डेस्कटॉप क्लाइंट सॉफ्टवेयर की बजाय
    वेब-इंटरफेस ब्राउजर से ही एक्सेस कर सकते हैं। ग्लाइड में कलेंडर,
    कान्टेक्ट्स, फोटो एडिटर, मीटिंग मैनेजर और मीडिया प्लेयर जैसे ऑप्शन भी
    हैं।

    वेब लिंक : gglidesociet4.com

  38. अगर आप ऑनलाइन डाटा स्टोर करना चाहते हो तो कर सकते हो , में आप को
    बताता हु की आप फ्री में 1 Gb डाटा केसे स्टोर कर सकते हो .
    सब से पहले आप को ऑनलाइन अपनी id बनानी होगी .
    www.drivehq.com पर.
    जब आप Id Creat करते हो तो आप को अपना ईमेल देना होगा .उस पर आप को एक
    ईमेल आये गा,.इस मेल में drivehq.Com से आप को एक मेल मिले गा.
    जिस में आप को एक securty नो deya जाये गा ,बो नो आप ने
    www.drivehq.com में देना होगा ,
    जिस से आप की Id actiwait जो जाये गी.
    ab आप apne password से अपनी Id Open कर के अपना डाटा अपलोड और डाउनलोड
    ऑनलाइन कर सकते हो,
    अगर आप ऑनलाइन वेबसाइट पे काम नहीं करना चाहते
    तो इस वेबसाइट में आप को एक softwrae दीया हुआ है .जिस का नाम Drive Hq
    File manager है ,

    आप इस सॉफ्टवेर को डाउनलोड कर लो ,
    डाउनलोड करने के बाद आप इस को इनस्टॉल कर लो ,फिर आप इस में अपनी Id बी
    बना सकते हो और open बी कर सकते हो .
    जे सॉफ्टवेर वेबसाइट से बोहत फ़ास्ट काम करता है ,

    Kuchkhaskhabar@gmail.com

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