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  1. Happy New Year

    Tuesday, December 31, 2013

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  2. समय अपनी गति से चल रहा है, चल ही नहीं रहा-भाग रहा है। निरंतर गतिमान इस
    समय के साथ कदम मिलाकर चलने पर ही मानव जीवन की सार्थकता है। इसके साथ
    कदम से कदम मिलाकर नहीं चलने वाला व्यक्ति पिछड़ जाता है। पिछड़ना सफलता
    से दूर हटना है, उसकी ओर गतिशील होना नहीं।

    सुनते हैं कि मनुष्य की साँसें गिनी हुई हैं। एक श्वांस के साथ जीवन की
    इस अमूल्य निधि की एक इकाई कम हो गई। एक -एक इकाइयाँ कम होती जाएँ तो
    जीवन की पूँजी एक दिन चुक जाती है। उस समय मृत्यु दूत बनकर लेने आ जाते
    हैं, उसके साथ जाते-जाते व्यक्ति पीछे मुड़कर देखता है तो उसे ज्ञात हो
    जाता है कि उसने कितनी बेदर्दी से समय को गँवाया है या उसके एक -एक क्षण
    का सदुपयोग किया है।

    संपदा का, विद्या का रोना सभी को रोते देखा है। कोई धन के अभाव में दुःखी
    है तो किसी के पास ज्ञान नहीं- विद्या नहीं, उसके लिए सिर पीट रहा है।
    समझ में नहीं आता कि यह हनुमान कब अपनी सामर्थ्य को समझेंगे तथा एक छलांग
    मारकर लंका पहुंच जाएँगे। विश्व की संपदा, विश्व का ज्ञान भंडार तो उनकी
    बाट जोह रहा है। समय जैसी मूल्यवान् संपदा का भंडार भरा होते हुए भी जो
    विननिमय कर धन ज्ञान तथा लोकहित को नहीं पा सकते उनसे अधिक अज्ञानी किसे
    कहा जाए ?

    समय अमूल्य है, समय को जिसने बिना सोचे -समझे खर्च कर दिया वह जीवन पूँजी
    भी यों ही गँवा देता है। यह पूँजी अपने आप खर्च होती है, आप कृपण बनकर
    उसे सोने-चाँदी -सिक्के की तरह जोड़कर नहीं रख सकते। यह गतिवान् है, आप
    अपनी अन्य संपदाओं की तरह उस पर अधिकार जमा नहीं सकते। आपका उसपर
    स्वामित्व वहीं तक है कि आप उसका सदुपयोग कर लें।

    जिस व्यक्ति में समय को खर्चने की, उसका सदुपयोग करने की सामर्थ्य नहीं
    होती तो समय उसे खर्च कर देता है। दिन -रात के चौबीस घंटे कम नहीं होते।
    इस समय को हम किस प्रकार व्यतीत करते हैं, इसका लेखा -जोखा करते चले तो
    हमें ज्ञात हो जाता है कि हम जी रहे हैं या समय को व्यर्थ गँवाकर एक
    प्रकार की आत्महत्या कर रहे हैं।

    http://pustak.org/home.php?bookid=4211

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  3. जीवन का महल समय की -घंटे -मिनटों की ईंटों से चिना गया है। यदि हमें
    जीवन से प्रेम है तो यही उचित है कि समय को व्यर्थ नष्ट न करें। मरते समय
    एक विचारशील व्यक्ति ने अपने जीवन के व्यर्थ ही चले जाने पर अफसोस प्रकट
    करते हुए कहा था-मैंने समय को नष्ट किया, अब समय मुझे नष्ट कर रहा है।''

    खोई दौलत फिर कमाई जा सकती है। भूली हुई विद्या फिर याद की जा सकती है।
    खोया स्वास्थ्य चिकित्सा द्वारा लौटाया जा सकता है पर खोया हुआ समय किसी
    प्रकार नहीं लौट सकता, उसके लिए केवल पश्चाताप ही शेष रह जाता है।
    जिस प्रकार धन के बदले में अभिष्ठित वस्तुएँ खरीदी जा सकती हैं, उसी
    प्रकार समय के बदले में भी विद्या, बुद्धि, लक्ष्मी कीर्ति आरोग्य, सुख
    -शांति, मुक्ति आदि जो भी वस्तु रुचिकर हो खरीदी जा सकती है। ईश्वर ने
    समय रुपी प्रचुर धन देकर मनुष्य को पृथ्वी पर भेजा है और निर्देश दिया है
    कि इसके बदले में संसार की जो वस्तु रुचिकर समझे खरीद ले।
    किंतु कितने व्यक्ति हैं जो समय का मूल्य समझते और उसका सदुपयोग करते हैं
    ? अधिकांश लोग आलस्य और प्रमाद में पड़े हुए जीवन के बहुमूल्य क्षणों को
    यों ही बर्बाद करते रहे हैं। एक-एक दिन करके सारी आयु व्यतीत हो जाती है
    और अंतिम समय वे देखते हैं कि उन्होंने कुछ भी प्राप्त नहीं किया, जिंदगी
    के दिन यों ही बिता दिये। इसके विपरीत जो जानते हैं कि समय का नाम ही
    जीवन है वे एक -एक क्षण कीमती मोती की तरह खर्च करते हैं और उसके बदले
    में बहुत कुछ प्राप्त कर लेते हैं। हर बुद्धिमान व्यक्ति ने बुद्धिमत्ता
    का सबसे बड़ा परिचय यही दिया है कि उसने जीवन के क्षणों को व्यर्थ बर्बाद
    नहीं होने दिया। अपनी समझ के अनुसार जो अच्छे से अच्छा उपयोग हो सकता था,
    उसी में उसने समय को लगाया। उसका यही कार्यक्रम, अंततः उसे इस स्थिति तक
    पहुँचा सका, जिस पर उसकी आत्मा, संतोष का अनुभव करे।

    प्रतिदिन एक घंटा समय यदि मनुष्य नित्य लगाया करे तो उतने छोटे समय से भी
    वह कुछ ही दिनों में बड़े महत्त्वपूर्ण कार्य पूरे कर सकता है। एक घंटे
    में चालीस पृष्ठ पढ़ने से महीने में बारह सौ पृष्ठ और साल में करीब
    पंद्रह हजार पृष्ठ पढ़े जा सकते हैं। यह क्रम दस वर्ष जारी रहे तो डेढ़
    लाख पृष्ठ पढ़े जा सकते हैं। इतने पृष्ठों में कई सौ ग्रंथ हो सकते हैं।
    यदि वे एक ही किसी विषय के हों तो वह व्यक्ति उस विषय का विशेषज्ञ बन
    सकता है। एक घंटा प्रतिदिन कोई व्यक्ति विदेशी भाषाएँ सीखने में लगावे तो
    वह मनुष्य निःसंदेह तीन वर्ष में इस संसार की सब भाषाओं का ज्ञाता बन
    सकता है। एक घंटा प्रतिदिन व्यायाम में कोई व्यक्ति लगाया करे तो अपने आय
    को पंद्रह वर्ष बढ़ा सकता है।

    संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के प्रख्यात गणित आचार्य चार्ल्स फास्ट ने
    प्रतिदिन एक घंटा गणित सीखने का नियम बनाया था और उस नियम पर अंत तक डटे
    रहकर ही इतनी प्रवीणता प्राप्त की।
    ईश्वरचन्द्र विद्यासागर समय के बड़े पाबंद थे। जब वे कालेज जाते तो
    रास्ते के दुकानदार अपनी घड़ियाँ उन्हें देखकर ठीक करते थे। वे जानते थे
    कि विद्यासागर कभी एक मिनट भी आगे-पीछे नहीं चलते।

    एक विद्वान ने अपने दरवाजे पर लिख रखा था। ''कृपया बेकार मत बैठिये। यहाँ
    पधारने की कृपा की है तो मेरे काम में कुछ मदद भी कीजिये। साधारण मनुष्य
    जिस समय को बेकार की बातों में खर्च करते रहते हैं, उसे विवेकशील लोग
    किसी उपयोगी कार्य में लगाते हैं। यही आदत है जो सामान्य श्रेणी के
    व्यक्तियों को भी सफलता के उच्च शिखर पर पहुँचा देती है। माजार्ट ने हर
    घड़ी उपयोगी कार्य में लगे रहना अपने जीवन का आदर्श बना लिया था। वह
    मृत्यु शैय्या पर पड़ा रहकर भी कुछ करता रहा। रैक्यूम नामक प्रसिद्ध
    ग्रंथ उसने मौत से लड़ते -लड़ते पूरा किया।

    ब्रिटिश कॉमनवेल्थ और प्रोटेक्टरेट के मंत्री का अत्यधिक व्यस्त
    उत्तरदायित्व वहन करते हुए मिल्टन ने 'पैराडाइस लास्ट' की रचना की।
    राजकाज से उसे बहुत कम समय मिल पाता था, तो भी जितने कुछ मिनट वह बचा
    पाता उसी में उस काव्य की रचना कर लेता। ईस्ट इंडिया हाउस की क्लर्की
    करते हुए जॉन स्टुअर्ट मिल ने अपने सर्वोत्तम ग्रंथों की रचना की।
    गैलेलियों दवादारु बेचने का धंधा करता था तो भी उसने थोड़ा -थोड़ा समय
    बचाकर विज्ञान के महत्त्वपूर्ण आविष्कार कर डाले।

    हेनरी किरक व्हाट को सबसे बडा समय का अभाव रहता था, पर घर से दफ्तर तक
    पैदल आते और जाने के समय का सदुपयोग करके उसने ग्रीक भाषा सीखी। फौजी
    डाक्टर बनने पर अधिकांश समय घोड़े की पीठ पर बीतता था। उसने उस समय को भी
    व्यर्थ न जाने दिया और रास्ता पार करने के साथ- साथ उसने इटेलियन और
    फ्रेंच भाषाएँ भी पढ़ लीं। यह याद रखने की बात है कि-परमात्मा एक समय में
    एक ही क्षण हमें देता है और दूसरा क्षण देने से पूर्व उस पहले वाले क्षण
    को छीन लेता है। यदि वर्तमान काल में उपलब्ध क्षणों का हम सदुपयोग नहीं
    करते तो वे एक -एक करके छिनते चले जाएँगे, चाहे अंत में खाली हाथ ही रहना
    पड़ेगा।''

    एडवर्ड वटलर लिटन ने अपने एक मित्र को कहा था-लोग आश्चर्य करते हैं कि
    मैं राजनीति तथा पार्लियामेंट के कार्यक्रमों में व्यस्त रहते हुए भी
    इतना साहित्यिक कार्य कैसे कर लेता हूँ ? 60 ग्रंथों की रचना मैंने कैसे
    कर ली ? पर इसमें आश्चर्य की बात नहीं। यह नियंत्रित दिनचर्या का चमत्कार
    है। मैंने प्रतिदिन तीन घंटे का समय पढ़ने और लिखने के लिये नियत किया
    हुआ है। इतना समय मैं नित्य ही किसी न किसी प्रकार अपने साहित्यिक कार्यो
    के लिए निकाल लेता हूँ। बस एक थोड़े से नियमित समय ने ही मुझे हजारों
    पुस्तकें पढ़ डालने और साठ ग्रंथों के प्रणयन का अवसर ला दिया।

    घर- गृहस्थी के अनेक झंझटों और बाल -बच्चों की साज -सँभाल से दिनभर लगी
    रहने वाली महिला हैरियट वीचर स्टो ने गुलाम -प्रथा के विरुद्ध आग उगलने
    वाली वह पुस्तक 'टॉम काका की कुटिया' लिखकर तैयार कर दी, जिसकी प्रशंसा
    आज भी बेजोड़ रचना के रुप में की जाती है।

    चाय बनाने के लिए पानी उबालने में जितना समय लगता है, उसमें व्यर्थ बैठे
    रहने की बजाय लांगफैले ने 'इनफरल' नामक ग्रंथ का अनुवाद करना शुरू किया
    और नित्य इतने छोटे समय का उपयोग इस कार्य के लिए नित्य करते रहने से
    उसने कुछ ही दिन में वह अनुवाद पूरा कर लिया।

    इस प्रकार अगणित उदापरण हमें अपने चारों ओर बिखरे हुए मिल सकते हैं। हर
    उन्नतिशील और बुद्धिमान मनुष्य की मुलभूत विशेषताओ में एक विशेषता अवश्य
    मिलेगी-समय का सदुपयोग। जिसने इस तथ्य को समझा और कार्य रूप में उतारा
    उसने ही यहाँ आकर कुछ प्राप्त किया है, अन्यथा तुच्छ कार्यों मेम आलस्य
    और उपेक्षा के साथ दिन काटने वाले लोग किसी प्रकार साँसे तो पूरी कर लेते
    हैं, पर उस लाभ से वंचित ही रह जाते है, जो मानव जीवन जैसी बहुमुल्य
    वस्तु प्राप्त होने पर उपलब्द होनी चाहिए या हो सकती थी।

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  4. दुनिया के सबसे तेज धावक हैं उसैन बोल्ट. अगर हम आपको ये बताएं कि एक 14
    साल का ऑस्ट्रेलियाई लड़का उनसे भी तेज दौड़ता है तो क्या आप यकीन
    करेंगे. पर रिकॉर्ड बुक तो यही बताते हैं.

    एक ऑस्ट्रेलियाई छात्र ने 200 मीटर की दौड़ को मात्र 21.73 सेकेंड में
    पूरा कर अपनी आयु वर्ग में वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया. उसका प्रदर्शन
    वर्ल्ड रिकॉर्डधारी बोल्ट से बेहतर था. उसने उसैन बोल्ट की 14 साल की
    उम्र में बनाए रिकॉर्ड से 0.08 सेकंड का बेहतर समय निकाला.

    बोल्ट को पछाड़ने वाले 14 वर्षीय जेम्स ग्लॉफर न्यू साउथ वेल्स के साउथ
    कोस्ट क्षेत्र का रहने वाला है. News.com.au के मुताबिक उसने यह रिकॉर्ड
    टाउंसविले में इस वीकेंड में हुई दौड़ में बनाया.

    2016 में रियो डी जेनरो में होने वाले ओलंपिक खेलों में ऑस्ट्रेलिया का
    प्रतिनिधित्व करने के लिए जेम्स ग्लॉफर मजबूत दावेदारी पेश कर रहे हैं.

    उसैन बोल्ट के वर्ल्ड रिकॉर्ड
    उसैन बोल्ट ने 2009 की बर्लिन विश्व चैंपियशिप में 100 मीटर की दूरी 9.58
    सेकेंड में पूरा करने का रिकॉर्ड बनाया था जिसे आज तक कोई धावक नहीं तोड़
    पाया. इसके अलावा इसी चैंपियनशिप में 200 मीटर की रेस में बोल्ट ने 19.19
    सेकेंड का समय निकालाते हुए रिकॉर्ड बनाया था, जो आजतक कायम है.

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  5. दक्षिण भारत में तिरुविशनल्लूर अय्यावय्यर नामक एक निश्छल हृदय के
    विद्वान ब्राह्मण रहते थे। एक बार उनके पिता के श्राद्ध में ब्रह्मभोज की
    तैयारी हो रही थी। ब्राह्मण श्राद्ध-तर्पण कराने आने ही वाले थे कि
    अय्यावय्यर दूब (घास) लेने घर के पिछवाड़े गए। उन्होंने देखा कि वहां भूख
    से व्याकुल एक व्यक्ति खड़ा है।

    अय्यावय्यर को देखते ही वह बोला, चार दिन से कुछ नहीं खाया है। भूख के
    कारण प्राण निकले जा रहे हैं। जूठा-बासी जैसा भी भोजन हो, देकर मेरे
    प्राण बचाओ। उसके करुणा भरे शब्द सुनकर अय्यावय्यर का हृदय द्रवित हो
    उठा। वह घर के अंदर गए और श्राद्ध की जो सामग्री पत्ते पर रखी थी, लाकर
    उस व्यक्ति को भेंट कर दी।

    पुरोहित ने यह देखा, तो वह क्रोधित होकर बोला, पंडित होकर भी बिना भोग की
    सामग्री निम्न जाति के भिखारी को देकर तुमने घोर पाप किया है। अब तुम्हें
    प्रायश्चित करना पड़ेगा, तभी हम ब्राह्मण भोजन करेंगे। क्रोध-अभिमान में
    पगलाए पुरोहित ने श्राद्ध का भोजन करने से इन्कार कर दिया।

    तभी अचानक पुरोहित ने देखा कि भगवान आसन पर बैठे अय्यावय्यर को उपदेश दे
    रहे हैं, तुम्हारे पिता तुम्हारी करुणा भावना से प्रसन्न हैं। उन्होंने
    भोजन प्राप्त कर लिया है। यह देखकर पुरोहित अय्यावय्यर के चरणों में
    झुककर बोला, तुम धन्य हो, भूखे में भगवान के दर्शन करनेवाला ही सच्चा
    धर्मात्मा है।

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  6. कुरु प्रदेश का राजकुमार भगवान श्रीकृष्ण का भक्त था। उसने संकल्प लिया
    कि अपना समस्त जीवन वह वृंदावन में बिताएगा। वृंदावन पहुंचकर यमुना तट पर
    उसने कुटिया बनाई और पूजा-उपासना करने लगा।

    एक बार मगध के राजा सपरिवार वृंदावन पहुंचे। जब राजा-रानी यमुना स्नान
    करने जा रहे थे, तब वृक्ष के नीचे उपासना में लीन साधु (राजकुमार) को
    देखकर वे रुक गए। साधु की समाधि पूरी होने के बाद मगधराज ने
    विनम्रतापूर्वक कहा, तपस्वी, मुझे आपके चेहरे से आभास होता है कि आप कहीं
    के राजकुमार तो नहीं?

    साधु ने कहा, राजन, भगवान श्रीकृष्ण की पावन लीला-भूमि में न तो कोई
    राजकुमार होता है और न राजा। श्रीकृष्ण अपने सखा ग्वालों को भी गले लगाते
    थे, इसलिए यहां कुल-जाति का विचार अधर्म है।

    राजा युवा तपस्वी के वचनों से प्रभावित हुए। उन्होंने अनुरोध किया, आप
    हमारे साथ चलें। अभी आप युवक हैं। हम आपका विवाह अपने कुल की कन्या से
    करा देंगे। आप कभी दुखी नहीं रहेंगे। यह सुनकर साधु ने पूछा, क्या राजा व
    धनवान को कभी दुख नहीं सताता?

    क्या राजा व गृहस्थ के परिवार में किसी की अकाल मृत्यु नहीं होती? फिर
    सुख से रहने की बात कहकर आप मुझे साधना से विरत क्यों करना चाहते हैं?
    श्रीकृष्ण की भक्ति में मुझे अनूठा सुख मिलता है। राजा ने युवा साधु को
    गुरु मान लिया और स्वयं भी राजपाट त्यागकर वृंदावन में रहने लगे।

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  7. सेठ अनाथपिंडक भगवान बुद्ध के परम स्नेहभाजन थे। वह अपने मन की तमाम
    बातें और वेदना निस्संकोच उनके समक्ष प्रस्तुत कर समाधान पाने की आशा
    रखते थे।

    एक दिन अनाथपिंडक का उदास चेहरा देखकर तथागत ने उनसे पूछा, सेठ, किस
    समस्या के कारण चिंतित हो? उन्होंने बताया, नई बहू सुजाता के व्यवहार के
    कारण बहुत परेशान हूं। वह बात-बात में पति का अपमान करती है। हमारी
    अवज्ञा करती है, इसलिए परिवार में कलह होने लगी है। तथागत ने कहा, सुजाता
    को हमारे पास भेजना।

    सुजाता भगवान बुद्ध के सत्संग के लिए आई और उनके सामने बैठ गई। बुद्ध ने
    उससे कहा, बेटी, महिलाएं चार तरह की होती हैं- बोधिकसमा, चोरसमा, मातृसमा
    और भगिनीसमा। तुम इनमें से किस श्रेणी में आती हो?

    सुजाता बोली, भगवन, मैं इनका तात्पर्य नहीं समझ पाई। बुद्ध ने फिर कहा,
    जो गृहिणी हमेशा क्रोध करती है, पति का अपमान करने को तत्पर रहती है, उसे
    शास्त्रों में बोधिकसमा कहा गया है। जो संपत्ति का सदुपयोग न करके उसे
    केवल अपने उपभोग में लाती है, उसे चोरसमा कहा गया है।

    जो स्त्री परिवार के अन्य सदस्यों के साथ सद्व्यवहार करती है, उसे
    मातृसमा कहा गया है। जो सभी से प्रिय भाई के समान व्यवहार करती है, वह
    भगिनीसमा कहलाती है।

    बुद्ध के वचनों से सुजाता लज्जित हो गई उसका अभिमान को दूर कर दिया। उसने
    मातृसमा बनने का संकल्प ले लिया।

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  8. दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला को उनके पैतृक गांव
    कुनु में दफना दिया गया है।

    उनका पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। दक्षिण अफ्रीका
    में रंगभेद के ख़िलाफ़ आंदोलन और बदलाव के सबसे बड़े नायक को अंतिम विदा
    देने के लिए देश-विदेश के करीब साढ़े चार हज़ार लोग मौजूद रहे।

    राजधानी प्रिटोरिया से मंडेला का शव उनके गाँव कुनु पहुंचा तो अपना
    सम्मान जाहिर करने के लिए लोग गाँव की सड़कों पर खड़े रहे।

    पाँच दिसंबर को नेल्सन मंडेला की मृत्यु हो गई थी। प्रिटोरिया में करीब
    एक लाख लोगों ने मंडेला के अंतिम दर्शन किए। उनकी याद में आंसू बहाए,
    नृत्य किया और प्रार्थना सभाओं में हिस्सा लिया।

    सैन्य वायुयान में मंडेला का शव वाटरलू हवाई अड्डे पहुंचा तो उनकी सबसे
    बड़ी बेटी मकाज़िवे मंडेला और क्लिक करें मंडेला की पोती मडिलेका हवाई
    अड्डे पर मौजूद थीं।

    दक्षिण अफ्रीकी के झंडे में लिपटे उनके शव को गार्ड ऑफ़ ऑनर के साथ 32
    किलोमीटर की यात्रा के बाद कुनु पहुंचा। मदीबा अपने आख़िरी दिन यहीं
    बिताना चाहते थे।

    नेल्सन मंडेला अंतिम यात्रा
    उनके बड़े बेटे मांडला मंडेला अपने पिता के अंतिम सफ़र में उनके साथ-साथ चल रहे थे।

    31 साल के बोनगानी ज़ेबी ने एएफ़पी से कहा, "वो आख़िरी बार अपने घर
    विश्राम करने को वापस लौट रहे हैं, मैं अपने अंदर की भावनाओं को व्यक्त
    नहीं कर सकता। मेरे मन के एक कोने में उदासी है, लेकिन मैं ख़ुश हूं कि
    उनको शांति मिल गई।"

    नेल्सन मंडेला का बचपन कुनु में बीता। मदीबा चाहते थे कि उनको यहीं दफ़न
    किया जाए। कई लोगों को अफ़सोस है कि उनके शव को लेकर जाने वाला काफिला
    रास्ते में रुका नहीं, इस कारण से वो मदीबा का अंतिम दर्शन नहीं कर पाए।

    कुनु में मौजूद बीबीसी संवाददाता ने बताया कि गाँव की महिलाओं के रोने की
    आवाज़ें आ रही थीं। लोग पैतृक घर में मंडेला की वापसी का स्वागत कर रहे
    थे। मानो मंडेला की घर वापसी के साथ एक सूरज डूब गया हो।

    बीबीसी संवाददाता मिल्टन नकोसी के मुताबिक़ अपनी मुक्ति दूत को स्थानीय
    लोगों के अंतिम बार देखने का लम्हा बहुत सशक्त था।

    समुदाय के लोग अंतिम संस्कार के दौरान गीतों और कविताओं में मंडेला के
    जीवन और उपलब्धियों को याद करेंगे। मंडेला के अंतिम संस्कार के दौरान
    दुनिया भर से करीब चार हज़ार लोग शामिल होंगे।

    इसमें दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब ज़ुमा समेत विभिन्न देशों के
    प्रधानमंत्री, ईरान के उपराष्ट्रपति और वेल्स के राजकुमार के आने की
    उम्मीद है।

    जैकब ज़ुमा ने मंडेला को अपनी श्रद्धांजली देते हुए कहा, "हम उन्हें याद
    करेंगे, वह हमारे पिता और संरक्षक थे। वह हमारे लिए बहुक ख़ास थे।"

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  9. एक नार्मल इंटरनेट डोंगल जैसे टाटा फोटॉन के ‌जरिए आप एक समय में एक ही
    डिवाइस में इंटरनेट चला सकते हैं।

    लेकिन अब टाटा डोकोमो के नए इंटरनेट डोंगल के ‌जरिए एक साथ एक समय में
    पांच डिवाइस में इंटरनेट एक्सेस कर सकते हैं।

    टाटा डोकोमो ने अपनी डाटा कनेक्टिविटी ‌डिवाइस फोटॉन सीरीज में फोटॉन
    मैक्स वाई-फाई (Photon Max Wi-Fi) को लॉन्च किया है। जिसके जारिए आप एक
    साथ कंप्यूटर, टैबलेट, लैपटॉप, स्मार्टफोन वगैराह में इंटरनेट चला सकते
    हैं।

    जावा आधरित इस फोन में 1800 एमएएच की बैटरी दी गई है और फोन में 64 एमबी
    का रैम और 64 एमबी की इंटरनल मैमोरी दी गई है।

    इसमें 1.3 मेगापिक्सल का कैमरा दिया गया है। भारत फीचर फोन में ऑटो वाइस
    कॉल रिकॉर्डिंग, एफएम रेडियो और मोबाइल ट्रैकर जैसे फीचर्स को भी शामिल
    किया गया है।

    कनेक्टिविटी के लिए जीपीआरएस और ब्लूटूथ की सुविधा है। बीएसएनएल के भारत
    फीचर फोन की कीमत कंपनी ने 1,799 रुपए तय की है।

    इसके अलावा तीन अन्य डिवाइस को बीएसएनएल और पेंटल बंडलिंग के साथ लांच
    किया गया है। पेंटा स्मार्ट पीएस650 जीसमें 6.5 इंच की स्क्रीन है और
    इसकी कीमत 7,999 रुपए है। इसके अलावा 5.0 इंच आईपीएस डिस्‍प्ले के साथ
    पीएस501 को पेश किया गया है।

    इस डिवाइस की कीमत 6,999 रुपए है। वहीं टैबलेट सेगमेंट में टी-पैड
    डब्ल्यूएस707सी (T-pad WS707C) को उतारा है और इसकी कीमत भी 6,999 रुपए
    है।

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  10. एक नार्मल इंटरनेट डोंगल जैसे टाटा फोटॉन के ‌जरिए आप एक समय में एक ही
    डिवाइस में इंटरनेट चला सकते हैं।

    लेकिन अब टाटा डोकोमो के नए इंटरनेट डोंगल के ‌जरिए एक साथ एक समय में
    पांच डिवाइस में इंटरनेट एक्सेस कर सकते हैं।

    टाटा डोकोमो ने अपनी डाटा कनेक्टिविटी ‌डिवाइस फोटॉन सीरीज में फोटॉन
    मैक्स वाई-फाई (Photon Max Wi-Fi) को लॉन्च किया है। जिसके जारिए आप एक
    साथ कंप्यूटर, टैबलेट, लैपटॉप, स्मार्टफोन वगैराह में इंटरनेट चला सकते
    हैं।

    जावा आधरित इस फोन में 1800 एमएएच की बैटरी दी गई है और फोन में 64 एमबी
    का रैम और 64 एमबी की इंटरनल मैमोरी दी गई है।

    इसमें 1.3 मेगापिक्सल का कैमरा दिया गया है। भारत फीचर फोन में ऑटो वाइस
    कॉल रिकॉर्डिंग, एफएम रेडियो और मोबाइल ट्रैकर जैसे फीचर्स को भी शामिल
    किया गया है।

    कनेक्टिविटी के लिए जीपीआरएस और ब्लूटूथ की सुविधा है। बीएसएनएल के भारत
    फीचर फोन की कीमत कंपनी ने 1,799 रुपए तय की है।

    इसके अलावा तीन अन्य डिवाइस को बीएसएनएल और पेंटल बंडलिंग के साथ लांच
    किया गया है। पेंटा स्मार्ट पीएस650 जीसमें 6.5 इंच की स्क्रीन है और
    इसकी कीमत 7,999 रुपए है। इसके अलावा 5.0 इंच आईपीएस डिस्‍प्ले के साथ
    पीएस501 को पेश किया गया है।

    इस डिवाइस की कीमत 6,999 रुपए है। वहीं टैबलेट सेगमेंट में टी-पैड
    डब्ल्यूएस707सी (T-pad WS707C) को उतारा है और इसकी कीमत भी 6,999 रुपए
    है।

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  11. ऐसा अकसर होता है जब आप नहीं चाहते हैं कि आपके पर्सनल कंप्यूटर या
    लैपटॉप को कोई दूसरा हाथ लगाए। इसके लिए आप हर समय आपने कंप्यूटर या
    लैपटॉप के पास भी नहीं बैठ सकते हैं।

    ऐसे में आप आपने कंप्यूटर को पासवर्ड लॉक के जरिए सुरक्षित रख सकते हैं।
    कंप्यूटर पासवर्ड लॉक बनाने कोई मुश्किल की बात नहीं हैं।

    अगर आप विंडोज कंप्यूटर इस्तेमाल कर रहे हैं तो निम्न स्पेट को पूरा करके
    आप कंप्यूटर पासवर्ड बना सकते हैं।

    1 सबसे पहले START बटन पर क्लिक करें। यहां आपको दाएं ओर control panel
    का ऑप्‍शन दिखाई देता हैं।

    अगर control panel ऑप्‍शन दिखाई नहीं देता है तो आप इसको सर्च ऑप्‍शन में
    जाकर खोज भी सकते हैं।

    2 control panel में जाने के बाद User Account and Family Safety पर क्लिक करें।

    3 यहां आपके सामने User Account विकल्प दिखाई देगा। इस पर क्लिक करें।

    4 User Account पर क्लिक करते ही आपके सामने Change password, Remove
    password, Change your Account picture और Change your Account name
    ऑप्‍शन दिखाई देते हैं।

    5 Change password पर क्लिक करें। इसके बाद आपके सामने पासवर्ड बनाने का
    ऑप्‍शन खुला जाता है। यहां आप अपना पासवर्ड बना सकते हैं।

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