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लिखिए अपनी भाषा में

  1. एक माँ चटाई पे लेटी आराम से सो रही थी, कोई स्वप्न सरिता उसका मन भिगो
    रही थी... तभी उसका बच्चा यूँही गुनगुनाते हुए आया... माँ के पैरों को
    छूकर हल्के हल्के से हिलाया...
    माँ उनीदी सी चटाई से बस थोड़ा उठी ही थी...

    तभी उस नन्हे ने हलवा खाने की ज़िद कर दी... माँ ने उसे पुचकारा और फिर
    गोद मे ले लिया... फिर पास ही ईंटों से बने चूल्हे का रुख़ किया... फिर
    उनने चूल्हे पे एक छोटीसी कढ़ाई रख दी... फिर आग जला कर कुछ देर उसे तकती
    रही...

    फिर बोली बेटा जब तक उबल रहा है ये पानी... क्या सुनोगे तब तक कोई परियों
    वाली कहानी... मुन्ने की आँखें अचानक खुशी से थी खिल गयी. जैसे उसको कोई
    मुँह माँगी मुराद हो मिल गयी... माँ उबलते हुए पानी मे कल्छी ही चलाती
    रही...
    परियों का कोई किस्सा मुन्ने को सुनाती रही...

    फिर वो बच्चा उन परियों मे ही जैसे खो गया.... सामने बैठे बैठे ही लेटा और फिर
    वही सो गया... फिर माँ ने उसे गोद मे ले लिया और मुस्काई, फिर पता नहीं
    जाने क्यूँ उनकी आँख भर आई...

    जैसा दिख रहा था वहाँ पर सब वैसा नही था... घर मे इक रोटी की खातिर भी
    पैसा नही था... राशन के डिब्बों मे तो बस सन्नाटा पसरा था... कुछ बनाने
    के लिए घर मे कहाँ कुछ धरा था... न जाने कब से घर मे चूल्हा ही नहीं जला
    था... चूल्हा भी तो बेचारा माँ के आँसुओं से गला था... फिर उस बेचारे को
    वो हलवा कहाँ से खिलाती...उस जिगर के टुकड़े को रोता भी कैसे देख पाती...
    वो मजबूरी उस नन्हे मन को माँ कैसे समझाती... या फिर फालतू मे ही मुन्ने
    पर क्यूँ झुंझलाती... इसलिए हलवे की बात वो कहानी मे टालती रही... जब तक
    वो सोया नही, बस पानी उबालती रही


    Arun Kumar 9868716801

    9910226567

    E-Mail. akarun198@gmail.com

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  2. जवाहरलाल नेहरू

    कार्यकाल
    १५ अगस्त १९४७ – २७ मई १९६४
    परवर्ती गुलज़ारीलाल नन्दा (कार्यकारी)

    जन्म १४ नवंबर १८८९
    इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
    मृत्यु २७ मई १९६४
    राजनैतिक दल कांग्रेस
    जीवन संगी कमला नेहरू

    जवाहरलाल नेहरू's signature

    जीवन

    जवाहर लाल नेहरू का जन्म इलाहाबाद में एक धनाढ्य वकील मोतीलाल नेहरू के घर हुआ था। उनकी माँ का नाम स्वरूप रानी नेहरू था। वह मोतीलाल नेहरू के इकलौते पुत्र थे। इनके अलावा मोती लाल नेहरू को तीन पुत्रियां थीं। नेहरू कश्मीरी वंश के सारस्वत ब्राह्मण थे।
    जवाहरलाल नेहरू ने दुनिया के कुछ बेहतरीन स्कूलों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त की थी। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा हैरो से, और कॉलेज की शिक्षा ट्रिनिटी कॉलेज, लंदन से पूरी की थी। इसके बाद उन्होंने अपनी लॉ की डिग्री कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पूरी की। इंग्लैंड में उन्होंने सात साल व्यतीत किए जिसमें वहां के फैबियन समाजवाद और आयरिश राष्ट्रवाद के लिए एक तर्कसंगत दृष्टिकोण विकसित किया।
    जवाहरलाल नेहरू 1912 में भारत लौटे और वकालत शुरू की। 1916 में उनकी शादी कमला नेहरू से हुई। 1917 में जवाहर लाल नेहरू होम रुल लीग‎ में शामिल हो गए। राजनीति में उनकी असली दीक्षा दो साल बाद 1919 में हुई जब वे महात्मा गांधी के संपर्क में आए। उस समय महात्मा गांधी ने रॉलेट अधिनियम के खिलाफ एक अभियान शुरू किया था। नेहरू, महात्मा गांधी के सक्रिय लेकिन शांतिपूर्ण, सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रति खासे आकर्षित हुए।
    नेहरू ने महात्मा गांधी के उपदेशों के अनुसार अपने परिवार को भी ढाल लिया। जवाहरलाल और मोतीलाल नेहरू ने पश्चिमी कपडों और महंगी संपत्ति का त्याग कर दिया। वे अब एक खादी कुर्ता और गाँधी टोपी पहनने लगे। जवाहर लाल नेहरू ने 1920-1922 में असहयोग आंदोलन में सक्रिय हिस्सा लिया और इस दौरान पहली बार गिरफ्तार किए गए। कुछ महीनों के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।
    जवाहरलाल नेहरू 1924 में इलाहाबाद नगर निगम के अध्यक्ष चुने गए और उन्होंने शहर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में दो वर्ष तक सेवा की। 1926 में उन्होंने ब्रिटिश अधिकारियों से सहयोग की कमी का हवाला देकर इस्तीफा दे दिया।
    1926 से 1928 तक, जवाहर लाल ने अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव के रूप में सेवा की। 1928-29 में, कांग्रेस के वार्षिक सत्र का आयोजन मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में किया गया। उस सत्र में जवाहरलाल नेहरू और सुभाष चन्द्र बोस ने पूरी राजनीतिक स्वतंत्रता की मांग का समर्थन किया, जबकि मोतीलाल नेहरू और अन्य नेताओं ने ब्रिटिश साम्राज्य के भीतर ही प्रभुत्व सम्पन्न राज्य का दर्जा पाने की मांग का समर्थन किया। मुद्दे को हल करने के लिए, गांधी ने बीच का रास्ता निकाला और कहा कि ब्रिटेन को भारत के राज्य का दर्जा देने के लिए दो साल का समय दिया जाएगा और यदि ऐसा नहीं हुआ तो कांग्रेस पूर्ण राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए एक राष्ट्रीय संघर्ष शुरू करेगी। नेहरू और बोस ने मांग की कि इस समय को कम कर के एक साल कर दिया जाए। ब्रिटिश सरकार ने इसका कोई जवाब नहीं दिया।
    दिसम्बर 1929 में, कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन लाहौर में आयोजित किया गया जिसमें जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष चुने गए। इसी सत्र के दौरान एक प्रस्ताव भी पारित किया गया जिसमें 'पूर्ण स्वराज्य' की मांग की गई। 26 जनवरी, 1930 को लाहौर में जवाहरलाल नेहरू ने स्वतंत्र भारत का झंडा फहराया। गांधी जी ने भी 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन का आह्वान किया। आंदोलन खासा सफल रहा और इसने ब्रिटिश सरकार को प्रमुख राजनीतिक सुधारों की आवश्यकता को स्वीकार करने के लिए मजबूर कर दिया.
    जब ब्रिटिश सरकार ने भारत अधिनियम 1935 प्रख्यापित किया तब कांग्रेस पार्टी ने चुनाव लड़ने का फैसला किया। नेहरू चुनाव के बाहर रहे लेकिन ज़ोरों के साथ पार्टी के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया। कांग्रेस ने लगभग हर प्रांत में सरकारों का गठन किया और केन्द्रीय असेंबली में सबसे ज्यादा सीटों पर जीत हासिल की।
    नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए 1936 और 1937 में चुने गए थे। उन्हें 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गिरफ्तार भी किया गया और 1945 में छोड दिया गया। 1947 में भारत और पाकिस्तान की आजादी के समय उन्होंने अंग्रेजी सरकार के साथ हुई वार्ताओं में महत्वपूर्ण भागीदारी की।


    भारत के प्रथम प्रधानमंत्री

     

    सन् १९४७ में भारत को आजादी मिलने पर जब भावी प्रधानमंत्री के लिये कांग्रेस में मतदान हुआ तो तो सरदार पटेल को सर्वाधिक मत मिले। उसके बाद सर्वाधिक मत आचार्य कृपलानी को मिले थे। किन्तु गांधीजी के कहने पर सरदार पटेल और आचार्य कृपलानी ने अपना नाम वापस ले लिया और जवाहर लाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया गया।
    1947 में वे स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। अंग्रेजों ने करीब 500 देशी रियासतों को एक साथ स्वतंत्र किया था और उस वक्त सबसे बडी चुनौती थी उन्हें एक झंडे के नीचे लाना। उन्होंने भारत के पुनर्गठन के रास्ते में उभरी हर चुनौती का समझदारी पूर्वक सामना किया। जवाहरलाल नेहरू ने आधुनिक भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। उन्होंने योजना आयोग का गठन किया, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास को प्रोत्साहित किया और तीन लगातार पंचवर्षीय योजनाओं का शुभारंभ किया। उनकी नीतियों के कारण देश में कृषि और उद्योग का एक नया युग शुरु हुआ। नेहरू ने भारत की विदेश नीति के विकास में एक प्रमुख भूमिका निभाई।
    जवाहर लाल नेहरू ने जोसिप बरोज़ टिटो और अब्दुल गमाल नासिर के साथ मिलकर एशिया और अफ्रीका में उपनिवेशवाद के खात्मे के लिए एक गुट निरपेक्ष आंदोलन की रचना की। वह कोरियाई युद्ध का अंत करने, स्वेज नहर विवाद सुलझाने, और कांगो समझौते को मूर्तरूप देने जैसे अन्य अंतरराष्ट्रीय समस्याओं के समाधान में मध्यस्थ की भूमिका में रहे। पश्चिम बर्लिन, ऑस्ट्रिया, और लाओस के जैसे कई अन्य विस्फोटक मुद्दों के समाधान में पर्दे के पीछे रह कर भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्हें वर्ष 1955 में भारत रत्न से सम्मनित किया गया।
    लेकिन नेहरू पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के संबंधों में सुधार नहीं कर पाए। पाकिस्तान के साथ एक समझौते तक पहुँचने में कश्मीर मुद्दा और चीन के साथ मित्रता में सीमा विवाद रास्ते के पत्थर साबित हुए। नेहरू ने चीन की तरफ मित्रता का हाथ भी बढाया, लेकिन 1962 में चीन ने धोखे से आक्रमण कर दिया। नेहरू के लिए यह एक बड़ा झटका था और शायद उनकी मौत भी इसी कारण हुई। 27 मई, 1964 को जवाहरलाल नेहरू को दिल का दौरा पडा जिसमें उनकी मृत्यु हो गई।


    आलोचना

     

    बहुत से लोगों का विचार है कि नेहरू ने अन्य नेताओं की तुलना में भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में बहुत कम योगदान दिया था। फिर भी गांधीजी ने उन्हे भारत का प्रथम प्रधानमंत्री बना दिया। स्वतंत्रता के बाद कई दशकों तक भारतीय लोकतंत्र में सत्ता के सूत्रधारों ने प्रकारांतर से देश में राजतंत्र चलाया, विचारधारा के स्थान पर व्यक्ति पूजा को प्रतिष्ठित किया और तथाकथित लोकप्रियता के प्रभामंडल से आवेष्टित रह लोकहित की पूर्णत: उपेक्षा की। अपनी अहम्मन्यता को बाह्य शिष्टता के आवरण में छिपाकर हितकर परामर्श देने वालों की बात अनसुनी कर दी तथा अपने आसपास चाटुकारों की सभाएं जोड़कर स्वयं को देवदूत घोषित करवाते रहे और स्वयं अपनी छवि पर मुग्ध होते रहे।
    भारत की बहुत सी समस्याओं के लिये नेहरू को जिम्मेदार माना जाता है। इन समस्याओं में से कुछ हैं:
    • लेडी माउंटबेटन के साथ नजदीकी सम्बन्ध
    • भारत का विभाजन
    • कश्मीर की समस्या
    • चीन द्वारा भारत पर हमला
    • मुस्लिम तुष्टीकरण
    • भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिये चीन का समर्थन
    • भारतीय राजनीति में वंशवाद को बढावा देना
    • हिन्दी को भारत की राजभाषा बनने में देरी करना व अन्त में अनन्त काल के लिये स्थगन
    • भारतीय राजनीति में कुलीनतंत्र को बनाये रखना
    • गांधीवादी अर्थव्यवस्था की हत्या एवं ग्रामीण भारत की अनदेखी
    • सुभाषचन्द्र बोस का ठीक से पता नहीं लगाना
    • भारतीय इतिहास लेखन में गैर-कांग्रेसी तत्वों की अवहेलना



  3. जन्म : 6 मई,1861
    मृत्यु : 6 फरवरी 1931

    पंडित मोतीलाल नेहरू का जन्म 6 मई, 1861 को आगरा में एक कश्मीरी पंडित परिवार में हुआ था। उनके पिता
    का नाम गंगाधर था। भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में मोतीलाल नेहरू ही एक
    ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अपनी शानोशौकत भरी जिंदगी को ताक पर रखकर देश
    के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया।

    मोतीलाल नेहरू अपने समय के देश के शीर्ष वकीलों में से एक थे। उस समय वह
    हजारों रुपए की फीस लेते थे। लेकिन इसके साथ ही वे गरीबों की मदद करने
    में कभी पीछे नहीं हटते थे।

    वे उन गिने-चुने भारतीयों में से एक थे, जो पश्चिमी ढंग की शिक्षा पाने
    वाली प्रथम पीढ़ी में शामिल थे। वे अत्यंत कुशाग्र बुद्धि के ज्ञाता थे।
    उन्होंने अरबी और फारसी भाषा की शिक्षा प्राप्त की थी।

    वे पढ़ने-लिखने में अधिक ध्यान नहीं देते थे, लेकिन जब उन्होंने इलाहाबाद
    हाईकोर्ट की वकालत की परीक्षा दी तो सब आश्चर्यचकित रह गए। इस परीक्षा
    में उन्होंने प्रथम स्थान प्राप्त करने के साथ-साथ स्वर्ण पदक भी हासिल
    किया था। उनकी पत्नी का नाम 'स्वरूप रानी' था तथा वे भारत के प्रथम
    प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पिता थे।

    उनकी कानून पर पकड़ बहुत मजबूत थी। इस वजह से उनकी अध्यक्षता में सन्
    1927 में साइमन कमीशन के विरोध में सर्वदलीय सम्मेलन ने एक समिति बनाई,
    जिसे भारत का संविधान बनाने का दायित्व सौंपा गया। इस समिति की रिपोर्ट
    को 'नेहरू रिपोर्ट' के नाम से भी जाना जाता है। तत्पश्चात उन्होंने
    इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकालत आरंभ की। वे 1910 में संयुक्त प्रांत
    (वर्तमान में उत्तरप्रदेश) विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए।

    वे पश्चिमी रहन-सहन और विचारों से बहुत प्रभावित थे, लेकिन गांधीजी के
    संपर्क में आने के बाद उनके जीवन में एक बड़ा परिर्वतन आया। उन्होंने
    गांधीजी के आह्वान पर 1919 में अमृतसर के जलियांवाला बाग गोलीकांड के बाद
    वकालत छोड़ दी।

    मोतीलाल नेहरू के बारे में कुछ वि‍शेष बातें : -

    * वे 1919 और 1920 में दो बार कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए।

    * सन् 1923 में देशबंधु चितरंजन दास के साथ मिलकर स्वराज पार्टी का गठन किया।

    * फिर सेन्ट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली पहुंचकर विपक्ष के नेता बने।

    * उन्होंने आजादी के आंदोलन में भारतीय लोगों के पक्ष में इंडिपेंडेट
    अखबार भी चलाया।

    * भारत की आजादी की लड़ाई के लिए कई बार जेल भी गए।

    * 6 फरवरी, 1931 लखनऊ, उत्तरप्रदेश में उनका निधन हुआ।



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  4. आज मानव तकनीकी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए बेतहाशा व्याकुल हैं। आज
    मानव हर क्षेत्र में नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। आजकल संस्थाओं
    तथा उद्योग धंधों में कम्यूटर का प्रयोग विशाल पैमाने पर हो रहा है।

    साथ ही हर छोटी से छोटी समस्या को सुलझाने के लिए भी कम्प्यूटर का प्रयोग
    किया जा रहा है। चाहे वो मोबाइल में रिचार्ज करवाना हो या फिर बिजली का
    बिल भरने का कार्य। कम्प्यूटर आज रोजमर्रा की उपयोगी वस्तुओं में से एक
    बन चुका है।

    कम्प्यूटर क्या हैं : -

    कम्प्यूटर एक यांत्रिक मस्तिष्क है, जिसमें अनेक प्रकार के गणित के
    सूत्रों एवं तथ्यों का संचालन कार्यक्रम पहले से ही संपादित करना होता
    है। कम्प्यूटर बेहद ही कम समय में गणना करके तथ्यों को अपनी स्क्रीन पर
    दिखा देता है।

    कम्प्यूटर का उपयोग :-

    1. औद्योगिक क्षेत्र में मशीनों तथा कारखानों का संचालन करने के लिए
    कम्प्यूटर को प्रयोग में लाया जाता है।

    2.सूचना एवं समाचार : सूचना एवं समाचार के संदर्भ में भी कम्प्यूटर अपनी
    सेवाएं प्रदान कर रहा है। कम्प्यूटर नेटवर्क के द्वारा विश्व भर के नगर
    एक-दूसरे से एक परिवार की भांति जुड़ गए हैं।

    3. बैंकिंग क्षेत्र में : बैंकों में हिसाब-किताब रखने के लिए कम्प्यूटर
    का प्रयोग अधिक से अधिक किया जा रहा है। यही नहीं घर के कम्प्यूटरों को
    भी बैंक के कम्प्यूटरों से संबद्ध किया जा सकता है।

    4. विज्ञान के क्षेत्र में : आज अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में
    कम्प्यूटर राम-बाण सिद्ध हुआ है। इसके द्वारा अंतरिक्ष के विशाल पैमाने
    पर चित्र एकत्र किए जा रहे हैं।


    उपसंहार :-

    आज कम्प्यूटर हर क्षेत्र में अनिवार्य हो रहा है। भारत वर्ष में एक
    प्रकार से कम्प्यूटर युग का ही आगमन हो रहा है।

    आज इसकी मदद से हर व्यक्ति अपनी छोटी-बड़ी समस्याओं का समाधान कम्प्यूटर
    के जरिए आसानी से ढूंढ लेता है।

    साथ ही बच्चों के लिए ड्राइंग, गेम्स व अन्य कई चीजें उपलब्ध करवाता है
    जिससे बच्चों का मनोरंजन होने के साथ-साथ उनका ज्ञान भी बढ़ सके।

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  5. इन्टरनेट इन दिनों हमारे दैनिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हो गया है |
    इंटरनेट से हम बहुत से काम कर सकते हैं | इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है |
    यह कह सकते हैं की इंटरनेट में विकास से हम जीवन के हर पहलु में उन्नति
    कर रहें हैं | न केवल इंटरनेट हमारा काम आसान कर रहा है, समय की भी खूब
    बचत हो रही है | जरूरत के अनुसार आज इंटरनेट विभिन्न प्रयोजनों के लिए
    इस्तेमाल हो रहा है | दस मुख्य उपयोग इस प्रकार हैं

    1. संचार

    इंटरनेट इस्तेमाल करके आजकल हम बहुत आसानी से हजारों किलोमीटर दूर बैठे
    लोगों से संपर्क कर सकते हैं | पहले ज़माने में यह बहुत मुश्किल काम था |
    इंटरनेट आने से सब कुछ बदल गया | अब लोग न केवल चैट कर सकते हैं विडियो
    कानफेरेंसिंग भी किया जा सकता है | दुनिया के किसी भी कोने में बैठे अपने
    प्रिय जनों से संपर्क किया जा सकता है | एक साधारण व्यक्ति के लिए संचार
    की सुविधा इंटरनेट की सबसे महत्वपूर्ण देन है | ईमेल व सोशल नेटवर्किंग
    इसके उधाहरण हैं | संचार इंटरनेट का एक ऐसा उपहार है जो प्रत्येक व्यक्ति
    को प्रिय है |

    2. अनुसंधान

    अनुसंधान कर्ता को सैकड़ों पुस्तकों और उल्लेखों का अध्यन करना पड़ता है |
    पहले ज़माने में यह बहुत मुश्किल होता था | जबसे इंटरनेट का जन्म हुआ है
    सबकुछ बस एक क्लिक दूर रह गया है | इंटरनेट में बस आपको अपने विषय को
    खोजना होता है; सैकड़ों उल्लेख आपके सामने प्रकट हो जाते हैं | अब चूँकि
    इंटरनेट आपकी सेवा में मौजूद है आपका अनुसंधान फ़ौरन प्रकाषित किया जा
    सकता है ताकि बहुत से लोग उसका लाभ उठा सकें | सच में अनुसंधानकर्ताओं को
    इंटरनेट से बहुत लाभ पहुंचा है |

    3. शिक्षा

    शिक्षा देने के लिए इंटरनेट बहुत उपयोगी माध्यम है | इंटरनेट में अनगिनत
    किताबों, आनलाईन हेल्प सेंटर, विशेषज्ञों की राय, इत्यादि की मौजूदगी से
    शिक्षा न केवल आसान बल्कि मजेदार भी हो गया है | अलग अलग विषयों के लिए
    अलग अलग वेब साईट मौजूद हैं | आप वहाँ जाएँ और अनंत ज्ञान का लाभ उठायें
    | इंटरनेट से आप शिक्षा के लिए किसी व्यक्ति पर निर्भर नही रहते |
    इंटरनेट में मौजूद विभिन्न ट्यूटोरियल्स की मदद से आप बहुत सी चीजें
    आसानी से सीख सकते हैं | शिक्षा द्वारा आप जीवन में सबकुछ पा सकते हैं |

    4. वित्तीय लेनदेन

    वित्तीय लेनदेन में पैसे का आदान प्रदान होता है | इंटरनेट से वित्तीय
    लेनदेन बहुत आसान हो गया है | अब आपको अपने बैंक में जाकर कतार में खड़े
    होने की जरुरत नहीं | अपने बैंक की वेब साईट को खोलें, आईडी और पासवर्ड
    डालें और घर बैठे लेनदेन करें | इन्टरनेट की मदद से आप कुछ भी आसानी से
    खरीद व बेच सकते हैं |

    5. वास्तविक समय में अपडेट

    समाचार व दुनिया भर में घटती दूसरी घटनाओं का वास्तविक समय में अपडेट
    इन्टरनेट द्वारा होता रहता है | बहुत से ऐसे वेब साईट हैं जो व्यापर,
    खेल, राजनीती, मनोरंजन, वित्त, और दूसरे क्षेत्रों में हो रहे घटनाओं का
    फ़ौरन उल्लेख करतें हैं | कई बार कुछ फैसले तुरंत हो रही घटनाओं के आधार
    पर लिया जाता है | ऐसी दशा में इंटरनेट बहुत जरूरी हो जाता है |

    6. फुर्सतमें

    पसंदीदा वीडियो देखना, गाने सुनना, मूवी देखना, गेम खेलना, प्रिय जन से
    चेट करना इत्यादि फुर्सत के काम इंटरनेट द्वारा संभव हैं | इंटरनेट का
    विकास इतनी तेजी से हुआ है कि आजकल जब भी आपको समय मिलता है आप इंटरनेट
    में सर्फ़ कर विश्राम पा लेते हैं |

    7. आन लाईन बुकिंग

    पहले ज़माने में बस, ट्रेन और प्लेन से सफर करना हो तो बस अड्डे, रेलवे
    स्टेशन इत्यादि पर जाकर बुकिंग करनी होती थी | अब सब कुछ बदल गया है और
    इंटरनेट की मदद से सबकुछ माउस के एक क्लिक से संभव है वह भी घर बैठे-बैठे
    | आन लाईन बुकिंग आसान है और विश्वशनीय है | बस अड्डे, रेलवे स्टेशन या
    एयर लाईन बुकिंग आफिस जाने की जरूरत नहीं है |

    8. नौकरी ढूँढना

    इंटरनेट में अनगिनत वेब साईट हैं जो उपलब्ध नौकरियों के बारे में सूचित
    करते रहते हैं | आपको केवल अपने आप को इनके साथ रजिस्टर करना होता है |
    शेष उन पर छोड़ सकते हैं | वे न केवल आपको ईमेल भेज कर उपलब्ध नौकरियों के
    बारे में सूचित करते हैं अपितु सबसे अच्छी नौकरी चुनने में मदद भी करते
    हैं | नौकरी ढूँढना अब बहुत आसान हो गया है |

    9. ब्लागिंग

    हम में से कुछ ऐसे होते हैं जिन्हें कुछ लिखना और उसे छपवाना पसंद होता
    है | उनके लिए इंटरनेट सबसे अच्छा है | वे मनमाफिक लिख सकते हैं और उसे
    छाप भी सकते हैं | यदि आपके लेख पढ़ने में ठीक होते हैं और आप काफी तादाद
    में पाठक जुटा सकते हैं तो आप पैसा भी कमा सकते हैं | हो सकता है आप को
    कोई कंपनी उनके लिए ब्लाग लिखने के लिए चुन ले |

    10. खरीदारी

    इंटरनेट से खरीदारी करना बहुत सुखदायक होता है | जब भी आपको समय हो आप
    साईट विजिट करें पसंद कि चीज चुने और ओडर करें | चीज आपके घर पर समय पर
    पहुंचा दिया जाता है | दुनिया के किसी भी कोने से आप सामान खरीद सकते हैं
    |

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  6. computer tips and tricks,

    लैपटॉप चार्ज करना बहुत आसान काम है, लेकिन उसे चार्ज करने का सही तरीका
    क्या है, यह कम ही लोग जानते हैं। अक्सर चार्जिंग के वक्त ऐसी गड़बड़ियां
    हो जाती हैं, जिससे लैपटॉप की बैटरी जल्दी खत्म हो जाती है या फिर लैपटॉप
    चार्ज होने में काफी समय लेता है। सही तरह से लैपटॉप चार्ज करने के लिए
    कुछ बातों का ध्यान रखें:

    ऐसे चार्ज करें लैपटॉप

    - ऐसी जगह पर लैपटॉप चार्ज न करें, जहां ज्यादा गर्मी हो या ज्यादा नमी
    हो। ज्यादा गर्म जगह पर चार्ज करने से एडप्टर को नुकसान हो सकता है और
    नमी वाली जगह पर चार्जिंग से सामान्य से ज्यादा वक्त लगता है।

    - लैपटॉप की स्क्रीन सबसे ज्यादा बैटरी लेती है। इससे लैपटॉप की चार्जिंग
    जल्द खत्म हो जाती है। स्क्रीन की ब्राइटनेस कम रखें, इससे पावर भी
    ज्यादा नहीं लगेगी और आपकी आंखों को भी कम नुकसान होगा।

    - जब जरूरत न हो तो ब्लूटूथ या वाईफाई कनेक्शन बंद कर दें।

    - माउस की जगह लैपटॉप पैड का इस्तेमाल भी ज्यादा बैटरी खर्च होने की
    समस्या से राहत दिलाता है।

    - कभी भी चार्जिंग के बीच में लैपटॉप से पावर डिस्कनेक्ट न करें।

    - लैपटॉप का इस्तेमाल करते वक्त आसपास का वातावरण ठंडा होना चाहिए।

    - एक निश्चित समय के बाद पुरानी बैटरी को तुरंत बदल लें, इससे आपकी
    डिवाइस सुरक्षित रहेगी।

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  7. जल ही जीवन है

    Wednesday, May 21, 2014

    मित्रों ! प्राय: देखने में आता रहता है कि गली—मौहल्लों अथवा कालोनियों
    बने घरों की नालियों में साफ पानी निरर्थक बहता रहता है घर परिवार के लोग
    अपने काम में व्यस्त रहते हैं उन्हें ध्यान ही नहीं रहता कि उन्होंने
    समरसेबिल/टुल्लू पम्प चला रखा है । नगरपालिकाओं द्वारा लगायी गयी टंकी की
    टोंटी अक्सर टूटी/खराब होने के कारण उनसे पानी निरर्थक बहता रहता है ।
    रेलवे स्टेशनों पर भी यही हाल देखने को मिलता रहता है ट्रैक पर खड़ी
    ट्रेनों की बोगियों के शौचालयों में पानी चढ़ाने वाले पाइप अक्सर खुले
    देखे जाते हैं ..............ऐसा लगता है जैसे कि हमारे देश में पानी की
    कोई कमी नहीं है ।

    पानी की कीमत तो उनसे पूछिये जो रेतीले,बंजर एवं पथरीले इलाकों में रहते
    हैं और रोज इसी कशमाकश में परिवार के सदस्य रहते हैं कि मीलों चलकर पानी
    कौन लायेगा ? बड़े शहरों में रात रातभर जागकर, लाइन में बर्तन लगाकर,
    पानी का इन्तज़ार करते रहते हैं एक अच्छी नींद के लिये, ऐसे लोग तरसते
    रहते हैं । उनके दिमाग में बस पानी—पानी....ही चलता रहता है ।

    यह दुखद ही है कि देश में जनसंख्या वृद्धि पर कोई रोकथाम भी नहीं है । हम
    लगातार बढ़ ही रहे हैं, समझदार, दो बच्चों के बाद stop लगा देते हैं
    परन्तु अशिक्षित,ऊपर वाले की देन मानते हुए अपने परिवार को बढ़ाते रहते
    है...... होना तो यही चाहिये कि प्रत्येक भारतीय अपना परिवार दो बच्चों
    से अधिक कदापि न बढ़ाये | बढ़ती जनसंख्या के अनुपात में, पीने योग्य पानी
    न के बराबर है । यदि जनजाग्रति नहीं हुई और जनसंख्या वृद्धि इसी प्रकार
    बढती गयी तो आगे आने वाले 20 वर्षों में, हमें अपनों को ही, सम्भवत: पीने
    योग्य पानी के लिये, लड़ते हुए देखेंगे । हे ईश्वर !........ ऐसा समय
    कदापि न आये ।

    मित्रों ! आइये अब एक नज़र पीने योग्य पानी के आकड़ों पर डालते है :—

    World Resource Institute की रिपोर्ट के अनुसार:—

    1. दुनियाँ की आधी से अधिक नदियाँ (लगभग 500)बहुत ही बुरी तरह से
    प्रदूषित हो चुकीं हैं अथवा यह भी कहा जा सकता है कि अत्याधिक प्रदूषित
    होने के कारण, यह विलुप्त होने के कग़ार पर हैं ।

    2. अफ्रीका एवं एशिया में महिलाओं को पानी लाने के लिये औसतन 6 किलोमीटर
    की दूरी तय करनी पड़ती है ।

    3. विकासशील देशों में लगभग प्रत्येक वर्ष 22 लाख लोग स्वच्छ पानी न
    मिलने के कारण होने वाली बीमारियों से मौत के मुँह में समा जाते हैं ।
    इनमें अधिकाँश संख्या बच्चों की होती है ।

    4. ऐसा अनुमान है कि पूरी दुनियाँ में वर्ष 2025 तक 5.3 अरब लोग यानि
    लगभग दो तिहाई आबादी पानी की कमी की चुनौतियों का सामना करने को विवश
    होगी ।

    5. पृथ्वी की सतह पर लगभग 71 प्रतिशत पानी है । परन्तु उपलब्ध जल का 0.08
    प्रतिशत पानी ही मानव के उपयोग हेतु योग्य है ।

    6. कृषि के लिये हम 70 प्रतिशत पानी उपयोग में लाते हैं लेकिन हमें वर्ष
    2020 तक 17 प्रतिशत और अधिक पानी की आवश्यकता होगी ।

    आकड़ों में पानी की कमी:—

    1. भारत में ही 32 शहरों में से 22 शहर पानी की किल्लत से गुज़र रहे हैं ।

    2. 1.1 अरब लोग वैश्विक तौर पर स्वच्छ जल की पहुँच से बाहर हैं ।

    3. पाँच में से एक व्यक्ति की पहुँच स्वच्छ पेय जल तक नहीं है ।

    4. भारत की 250 अरब घनमीटर तक पानी भण्डारण की क्षमता है ।

    पूरे विश्व की स्थिति :—

    1. पानी से होने वाले रोगों एवं गन्दगी से 6000 बच्चों की रोज मौत हो जाती है ।

    2. मात्र 10 प्रतिशत देशों में पानी की किल्लत नहीं है ।

    3. 10 से 20 प्रतिशत तक देशों में पानी की कम परेशानी है ।

    4. 20 से 40 प्रतिशत तक देशों में पानी की अधिक परेशानी है ।

    5. 40 से 80 प्रतिशत तक देशों में पानी की बहुत अधिक परेशानी है ।

    6. 80 प्रतिशत देशों में पानी की सबसे ज्यादा किल्लत है ।

    देश के प्रत्येक नागरिक को.... पीने योग्य पानी की कीमत समझते हुए तथा
    उसके बचाने के लिये, मन से प्रयास करते हुए, जागरूक रहना होगा ।
    आवश्यकतानुसार कम पानी का प्रयोग ही सर्व हितकारी होगा । जल ही जीवन
    है.....मनुष्य भूखा तो रह सकता है परन्तु जल के बिना.....जीवन असम्भव है


    Name: TRIBHUWAN KISHOR


    Email: tribhuwankishor1000@gmail.com

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  8. सभी पाठकगणों / मित्रों से मेरा अनुरोध है कि वह please इस ब्लॉग को अपने
    बच्चों को अवश्य पढ़ायें |

    आजकल समाचारपत्रों /टी0 वी0 न्यूज़ के माध्यम से आत्महत्या के संबंध में
    कोई न कोई समाचार प्रत्येक दिन पढ़ने - सुनने को मिलता ही रहता है |
    परीक्षा में कम अंक आने अथवा फेल होने पर अमुक छात्र ने विषैला पदार्थ
    खाकर आत्महत्या कर ली | माता- पिता द्वारा डाँटने पर पुत्र ने आत्महत्या
    कर ली | एक तरफ़ा प्रेम -प्रेमिका की शादी- प्रेमी द्वारा आत्महत्या |
    पति -पत्नी में अनबन - पत्नी द्वारा आत्महत्या | सास के ताने - नव वधू
    द्वारा आत्महत्या | पत्नी वियोग - पति द्वारा आत्महत्या | ऐसे समाचारों
    को सुनकर हम सभी का मन विचलित होने के साथ-साथ दुखी होना लाज़िमी है |
    ऐसा मनुष्य यह जानते हुए भी कि जीवन अमूल्य है , फिर भी स्वयं के जीवन को
    समाप्त करने का घातक निर्णय आख़िर क्यों ले लेता है ? आइए ! पहले इनके
    कारणों के जानने की कोशिश करते हैं |

    सभी पाठकगणों / मित्रों से मेरा अनुरोध है कि वह please इस ब्लॉग को अपने
    बच्चों को अवश्य पढ़ायें |

    आत्म हत्या करने से पूर्व की स्थिति ---- ऐसा कोई कर्म जिसका पश्चाताप
    होने पर अत्यन्त शर्मिन्दगी /आत्मग्लानि उत्पन्न होने लगे, रोज-रोज के
    ताने सुनने पर अथवा कोई असहनीय दुख, अत्याधिक चिन्ता व तनाव, लगातार
    विपरीत परिस्थितियाँ उत्पन्न होने तथा संघर्ष करते करते सहनशीलता
    (patience) टूट जाने पर एक अन्तर्द्वन्द- युद्ध, मस्तिष्क में विचारों का
    होता है | मस्तिष्क में हताशा एवम निराशा से भरे. नकारात्मक विचार
    बहु-संख्या में जल्दी-जल्दी लगातार आते हैं | एक सकारात्मक विचार दूसरे
    नकारात्मक विचार से युद्ध करता है | परन्तु नकारात्मक विचार क्रोधित
    अवस्था में रहते हुए इतना बलवान होता है कि सकारात्मक विचार की आवाज़ को
    बड़ी निर्दयता के साथ कुचलते हुए दबाता जाता है |

    ऐसा मनुष्य स्वयं को , सभी ओर से बंद दरवाज़ों में फँसा हुआ, अत्याधिक
    घुटन से भरा हुआ महसूस करता है |उससे निकलने का कोई रास्ता उसे दिखाई
    नहीं देता है | विवेक-शक्ति के साथ-साथ आगे जीने की इच्छा-शक्ति बिल्कुल
    शून्य हो जाती है, उसे ऐसा लगता है कि उसके अब जीने का कोई अर्थ नहीं है
    | अब सब कुछ समाप्त हो चुका है | अब जीना बेकार है जैसे शब्द,
    मन-मस्तिष्क में काफ़ी बलशाली होकर प्रत्येक पल गूंजते रहते है और
    नर्वसनैस को बल देते हुए आत्मघाती कदम उठाने के लिए काफ़ी तीव्रता के साथ
    प्रेरित करते हैं | ऐसे मनुष्य को आत्महत्या ही विकल्प के रूप में दिखाई
    देता है | अंतिम चरण में कोई सकारात्मक विचार, मस्तिष्क में नहीं रह
    जाता, सभी सकारात्मक विचार युद्ध करते हुए मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं
    | अनुत्तरित नकारात्मक विचारों एवं प्रश्नों की एक विशाल, हताशा से भरी
    श्रंखला, मस्तिष्क को विवेक शून्य/दिमागी-नपुंसक करती हुई, शरीर को
    समाप्त करने के लिए लगातार प्रेरित करती रहती है ....... अन्तोगत्वा
    आत्मघाती निर्णय की जीत हो जाती है |

    मेरा स्वयं का विचार है कि आत्मघाती कदम उठाने का विचार लगभग प्रत्येक
    मनुष्य के पूरे जीवन काल में, एक बार अवश्य आता है | मित्रों ! मैं स्वयं
    इसको इतना स्पष्ट रूप से इसलिए कह पा रहा हूँ क्योंकि मेरी भी अब तक की
    जिंदगी में ऐसे दो बार विचारों का अंतर्द्वंद-युद्ध हुआ था | परंतु
    सर्वशक्तिमान के नेटवर्क से लगातार जुड़ा रहने के कारण ईश्वर की हर बार
    कृपा रही | वह मुझे दोनो बार गहन अंधकार से रोशनी में लाये |

    ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो , इसके लिए क्या किया जाए ? ऐसी स्थिति से
    निपटने के लिए एक अच्छे विचारों वाला सुसंस्कृत, सुयोग्य मित्र, भाई, बहन
    एवं माता-पिता संजीवनी की तरह से, हमारे समक्ष मौजूद होते हैं | हमारे
    जीवन में अनेकानेक घटनाओं का घटित होना, कर्मों की परिणामी प्राकॄतिक
    प्रतिक्रिया है | कभी अप (up) तो कभी डाउन (down) | किसी घटना से खुश तो
    किसी घटना हम इतने व्यथित हो जाते हैं कि अपने आपको निःसहाय महसूस करते
    हैं | ऐसी स्थिति में यदि हम अपनी उलझन एवं तनाव पूर्ण बातों को, अच्छे
    विचारों वाले सुयोग्य मित्र -भाई, बहन एवं माता-पिता से शेयर करते हैं |
    तब वह हीनभावना / आत्मग्लानि वाली बातों को डिलीट(delete) करने के साथ,
    उनकी उत्साहवर्धक एवं हौसले से भरी बातें, सकारात्मक विचारों को बल देना
    प्रारम्भ कर देती हैं | तब मन-मस्तिष्क में चल रहे अंतर्द्वंद-युद्ध का
    वेग स्वतः हल्के होते हुए समाप्त हो जाता है |चित्त के शांत होने और
    आत्म-चिन्तन पश्चात दॄढ़ता के साथ जीने की नई उमंग पुनः जाग्रत हो जाती
    है |

    आत्महत्या सामाजिक द्रष्टिकोण से सर्वथा अनुचित एवं अक्षम्य है | यह शरीर
    हमारे माता-पिता द्वारा प्रदान किया हुआ है | उन्होने अच्छे-बुरे समय को
    झेलते हुए हमारी सुरक्षा के साथ पालन - पोषण किया, उनके दिए हुए इस शरीर
    को आत्मघाती कदम उठाकर समाप्त करना, क्षमा योग्य नहीं है | मृत्योपरान्त
    दुखी माता-पिता यही कहते हैं कि ईश्वर ऐसी औलाद किसी को भी न दे / ऐसी
    औलाद पैदा होते ही मर जाए / ऐसी संतान से निःसंतान होना कहीं अच्छा है |

    ईश्वरीय द्रष्टिकोण से भी आत्महत्या, महापाप की श्रेणी में आता है |
    सर्वशक्तिमान ने भी मनुष्य को कर्म फलानुसार दुख-सुख भोगते हुए
    मुक्ति-प्रशस्त हेतु हमें मनुष्य शरीर दिलाकर सुनहरा अवसर प्रदान किया है
    | अकाल मृत्यु को छोड़कर, शरीर का अंत होने का समय भी निर्धारित है |
    परंतु समय से पूर्व ही आत्मघाती कदम उठाते हुए आत्महत्या करना, मिले
    सुनहरे अवसर को खोने के साथ-साथ ईश्वर आदेश की अवहेलना भी है | समय से
    पूर्व ऐसे शरीर से निकली आत्मा सर्वशक्तिमान को स्वीकार नहीं है | उसने
    जितने समय के लिए हमें भेजा था, मृत्योपरान्त अवशेष समय बिना शरीर के ही
    शून्य में विचरण करते रहना होता है |यह पीड़ा उस पीड़ा से कहीं अधिक
    भयंकर है जिस पीड़ा के रहते आत्महत्या की गई | मुक्ति सत्कर्म में निहित
    है | शरीर मिले बिना कर्म सम्भव नहीं | स्वयं ही अपने शरीर को मृत्यु
    देने से , मुक्ति के सभी रास्ते बंद हो जाते हैं | हम अपने शरीर के दाता
    माता-पिता के साथ-साथ सर्वशक्तिमान के भी दोषी हो जाते हैं |

    जिंदगी धूप -छावँ की तरह है | आज कष्ट है तो कल आराम भी मिलेगा |
    किशोरावस्था में कदम रखने के बाद जीवन में संघर्ष शुरू हो जाता है जो
    अंतिम समय तक चलता ही रहता है | संघर्ष के रूप बदलते रहते हैं | प्रत्येक
    संघर्ष को परीक्षा मानना चाहिए | परीक्षाओं से विमुख होना कायरता माना
    जाता है | जिस जीवन में कोई संघर्ष नहीं, ऐसा जीवन भी बेमानी है | जिस
    मनुष्य को आरंभ से सुख मिलता रहा हो, उस मनुष्य को थोड़ा सा दुख भी
    असहनीय होता है |

    ऐसा मान लें कि सुख- दुख साईकिल (जीवन) के 2 पहिए हैं | अगला पहिया सुख
    का तो पिछला पहिया दुख का | जीवन रूपी साईकिल को आगे बढा़ने के लिए दुख
    वाले पहिए को ही चैन द्वारा घुमाने हेतु ज़ोर लगाना होता है | आगे का सुख
    वाला पहिया स्वतः ही घूमने लगता है | यहाँ समझने का अर्थ यह है कि सुख
    रूपी पहिया अपने आप नहीं चलता | दुख रूपी पहिए का ईमानदारी से परिश्रम
    /संघर्ष / मंथन करने पर ही सुख रूपी अगला पहिया स्वतः चलने लगता है | एक
    वक्त ऐसा भी आता है जब कष्टों की लाइन सी लगी होती है | यानि किसी चढ़ाई
    पर दुख रूपी पहिए पर काफ़ी ज़ोर लगाना होता है परंतु यह भी निश्चित है कि
    चढ़ाई के बाद ढलान भी आना है और ढलान पर दुख रूपी पिछ्ले पहिए पर कोई
    श्रम नहीं करना होता है यानि ऐसी स्टेज कि पैडल पर कोई ज़ोर लगाने की
    ज़रूरत ही नहीं, दुख रूपी पहिया साथ होते हुए भी दुख का पता ही नहीं चलता
    क्योंकि उस समय उसमें कोई संघर्ष / श्रम नहीं होता है | कोई अंजाने में
    कोई गलती हो भी गयी तो उसका दण्ड आत्महत्या कदापि नहीं हो सकता | परीक्षा
    में कम अंक आए या फेल हो गये तो क्या हुआ ? अपनी कमियों का गंभीरता के
    साथ निरीक्षण कर दुबारा एक नये होसले के साथ कोशिश करनी चाहिये | आज के
    समय में क्रोध बच्चों पर बुरी तरह हावी है | उनमें सहनशीलता (patience)
    की कमी है | माता पिता का हल्का सा क्रोध भी बर्दाश्त के बाहर है |यह सब
    वर्तमान परिवेश की ही देन है, अतः परिवार के हर सदस्य को समझाते हुए ही
    चलना बेहतर है |

    आइए ! एक उदाहरण चींटी का ही लें | एक चावल के दाने को जो उसके वजन से
    कहीं अधिक भारी होकर भी चींटी उसे छोड़ती नहीं | उसे खींचकर अपने बिल में
    ले ही जाती है | उसका यह प्रयास यदि एक बार में सफल नहीं होता है तो वह
    उसे अनेकों बार दोहराती है.....अन्तोगत्वा वह सफल हो ही जाती है |

    हमारे समक्ष चाहें कैसी भी विषम भरी परिस्थितियाँ आएँ,हमें अपने
    सर्वशक्तिमान को साक्षी बनाकर, लगातार संघर्ष करते रहना होगा, परंतु
    आत्महत्या......कदापि नहीं |

    Name: TRIBHUWAN KISHOR

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  9. कल कैसे जिये हम वो आज अंदाज भूल गये

    कल कैसे जिये हम वो आज अंदाज भूल गये

    कल के रीति रिवाज क्या थे

    आज हम उसे सरल बना बैठै हैं

    कल का भारत कैसा था

    आज उसे बदल बैठै हैं

    आज देश पर राजनीति समझौते पर मत किया करें

    समझौतों मे नहीं देश चलाना है

    जो आखें दिखायें गद्दार उसे सबक सिखाना है

    कल वीरों ने संघर्षो से भारत बसाया है

    आज ऐसा क्या हो गया

    जो लड़ कर अमर हो गये

    उनको हम सही नमन करना भूल गये

    कल कैसे जिये हम वो आज अंदाज भूल गये


    Name: Akshay Bhandari

    Email: bhandari.akshay11@gmail.com

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  10. मेरे शहर की माटी कुछ पुकारती है,कुछ सिखलाती है। यहा का अलग नजारा
    दिखलाती है कल से आज तक समाज में कुछ नहीं बदला तो शहर यह नजारा दिल में
    बसा हुआ है जहा हम सब एक रहे और एकता व सौहार्द्र कि मिसाल भाईचारा ओर
    प्रेम का संचार बढ़ाती है इस माटी की तस्वीर में हर धर्म के प्रति आस्था
    दिखलाती है।

    सुनो धर्म के नाम पर लड़ने वालो हमारे दिल में ईश्वर अल्ला तेरो नाम बसता
    है फिर क्यों इन धर्म के नाम पर लड़ता है।

    मेरे शहर में हिन्दु-मुस्लिम-सिक्ख-ईसाई भाई भाई का नाता है इस माटी के
    रग-रग में प्यार छाया है। इस शहर में मन्दिर दरगाह सब पुजाते सबको
    नत्मस्तक कहकर मन कहता है वाकई मेरा हिन्दुस्तान यहा पर बसता है।
    मेरे शहर में आकर देखो भाईचारा का तात्पर्य यह है कि मध्यप्रदेश के धार
    जिले के राजगढ़ शहर अपनी पहचान शान्ति ओर अमन के संदेश लेकर हर समाज का
    व्यव्हार ओर अपनी -अपनी आस्था का नजारा एक अलग अंदाज में देखने को मिलता
    है।


    क्योकी एक पंरपरा हम सब एक है याद दिलाती हुई प्रेरणा बन गई है यहा नगर
    चैरासी लगभग सन् 2000 से चलकर आजतक भव्य मन्दिर व अन्य आयोजनो के प्रंसग
    पर चली आ रही है अब तक कि 19 वीं नगर चैरासी इस राजगढ़ शहर में हो चुकी
    है नगर चैरासी का मतलब सभी जाति के लोग एकसाथ बैठकर एक ही ंपंगत पर भोजन
    करते है।

    आज यह नगर चैरासी युवा पीढ़ी को इस पंरपरा को बनाए रखने का एक सन्देश भी दे रही है।

    पत्रकार अक्षय आजाद भण्डारी राजगढ़ (धार) मध्यप्रदेश

    मों.9893711820

    bhandari.akshay11@gmail.com

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  11. हम सभी चाहते है कि हर दिल अच्छी तरह से धड़कता रहे | यह दिल चाहे मनुष्य
    का हो, पशु पक्षी अथवा अन्य किसी जीव का हो | परन्तु हर दिल को धड़कने के
    लिए आक्सीजन की भी ज़रूरत है | आक्सीजन के बिना हम जीवित नही रह सकते हैं
    | आक्सीजन फेफड़ों को मजबूती प्रदान करती है | सांस लेने की प्रक्रिया
    में आक्सीजन फेफड़ों में पहुँचकर एक वाल्व के द्वारा ह्रदय में पहुँचती
    है | हृदय में एकत्र खून में यह आक्सीजन मिल जाती है, और हृदय जो एक पंप
    की तरह से काम करता है उस रक्त को संपूर्ण शरीर में भेजने के लिए पंप कर
    देता है |

    यह रक्त घूम फिरकर पुनः हृदय में पहुँचता है | और फिर वही प्रक्रिया रक्त
    में आक्सीजन को मिलाना तथा पंप करना होती है | यह प्रक्रिया अनवरत रूप से
    प्रतिपल चलती रहती है | रक्त में मिला हुआ यह आक्सीजन हमारी मांसपेशियों,
    त्वचा, अंग प्रत्यंग एवं मस्तिष्क को तरोताज़ा करने में संजीवनी की तरह
    से काम करता है | ( कृपया वह पाठकगण जो धूम्रपान करते है समझने की कोशिश
    करे कि कहीं वह सीधे म्रत्यु को निमंत्रण तो नही दे रहे है ? इसके साथ
    साथ सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान कर अनैच्छिक व्यक्तियों की साँसों को
    अवरूध कर कहीं माइनस पॉइंट तो एकत्र नहीं कर रहे है ? )

    यही नहीं बल्कि शरीर के बाहर से भी आक्सीजन, त्वचा और आँखों को सुरक्षा
    प्रदान करती है | यह आक्सीजन सभी जीवों को अच्छी प्रकार व अनवरत रूप से
    मिलती रहे, इसके लिए विधाता ने हमें वृक्ष (TREES) दिए है | वृक्ष फिल्टर
    के रूप में कार्य करते है | जीव के द्वारा बाहर छोडी गयी साँस दूषित वायु
    (कार्बन डाई आक्साइड ) को यह वृक्ष अपने में समाहित कर जीव के लिए
    आक्सीजन छोड़ते रहते है | यह वृक्ष का अप्रत्यक्ष त्याग ही है कि वह
    हमारी दूषित वायु को अपने में समाहित कर, हमारे जीने के लिए आक्सीजन देता
    है |

    पीपल का एक वृक्ष सबसे अधिक आक्सीजन देता है | पुराणों में पीपल के वृक्ष
    को साक्षात श्री विष्णु का स्वरूप कहा गया है | जो मानते है वह आज भी
    पीपल के वृक्ष की पूजा करते है | एक वृक्ष प्रत्यक्ष रूप से खाने के लिए
    फल और सूख जाने (म्रत्यु) पर ईधन के रूप में (अन्य कार्य उपयोग हेतु )
    स्वयं को , मनुष्य को सौंप देता है | यही नहीं एक वृक्ष पर अनेकों
    जीव-जंतुओं का चलना-फिरना ,फुदकना खेलना कूदना, विश्रामालय , घर बनाना ,
    शरणस्थली भी होता है | इसके अतिरिक्त वृक्ष की जड़ें भूमि कटाव /भूमि को
    दरकने से भी रोकती है |

    एक वृक्ष की काफ़ी लंबी आयु होती है | यह मनुष्य की कई पीडियों को देख
    लेता है | विचार करें कि एक वृक्ष लगभग सभी योनियों के जीवों के लिए
    त्याग कर प्लस पॉइंट एकत्र करता है | माइनस पॉइंट से उसे कोई मतलब नहीं
    है | जब एक वृक्ष हमारे लिए समर्पण से इतना भरा हुआ है तब हम ऐसे क्यों
    नहीं है ?

    हम अपने प्यारे बच्चों का जन्म दिन मनाते है | कॅक काटते है , खुशियाँ
    मानते है तो क्यों न साथ - साथ एक किसी वृक्ष का पौधा भी घर के नज़दीक
    इसी दिन लगाएँ | हम अपने घर की कोई भी खुशी में किसी फलदार वृक्ष का पौधा
    लगाकर स्वच्छ वायु /आक्सीजन उत्पादन में योगदान कर सकते है |

    काश !मैं भी एक वृक्ष होता ........मेरी शाखाओं पर पक्षियों का बैठना -
    फुदकना , मेरे पत्तों में छिपकर उनका आपस में चोंच लड़ाना , उनकी चह
    -चहाहट को सुनना , उनका घर बनाना , गिलहरी का पूछ उठाकर दौड़ना, मेरी
    छाया में थके मनुष्य , बड़े जीव जंतुओं का आकर बैठना उनको सुकून मिलना,
    सबको सुकून में और खुश देख कर मेरी खुशी को भी पंख लग जाते | मेरे शरीर
    से निकली आक्सीजन की स्वच्छ वायु, वातावरण को सुगन्धमय बनाती .....मुझे
    कितनी खुशी होती ...........बयाँ करना मुश्किल है |

    जैसे हम अपने बच्चों का ध्यान रखते है, उसी प्रकार हम लगाए गये पौधे को
    भी अपना तन- मन-धन से संरक्षण प्रदान करते रहें | घर के आस-पास का
    पर्यावरण स्वच्छ वायु / आक्सीजन से भरपूर हो तो इसके लिए प्लीज़ वृक्ष -
    प्रेम को अवश्य महत्व दीजिएगा | वृक्ष के लगाने से मनुष्य के साथ साथ
    अनेक योनियों के जीवों को आक्सीजन व शरणस्थल उपलब्ध होता है | तो फिर देर
    न करें| आइए ! अपने जीवन के साथ साथ दूसरों के जीवन को सुखमय बनाने के
    लिए वृक्ष लगाने का संकल्प लें और प्लस पॉइंट अपने खाते में जोड़ें | ऐसा
    संस्कार अपने बच्चों को भी देना ना भूले | अभिव्यक्ति में त्रुटि के लिए
    क्षमा करें |



    Name: TRIBHUWAN KISHOR

    Email: tribhuwankishor1000@gmail.com

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  12. किसी एक गांव के किनारे बने तालाब के पास हंस और हँसनी का जोडा रहता था |
    दोनो का ही जीवन सुखमय व्यतीत हो रहा था | एक दिन हँसनी ने हंस से कहा-
    आओ कहीं दूर की सैर करने चलते है, कुछ मन भी बहलेगा | हंस ने भी हामी भरी
    और दोनो उड़ चले | उड़ते -उड़ते जब शाम होने को आई तो हँसनी ने हंस से
    कहा- आओ यहीं इस पेड़ पर बसेरा ले लेते हैं | काफ़ी थक भी गये है | हंस
    ने कहा- ठीक है | और वह हंस और हँसनी पेड़ की एक शाखा पर बैठ गये | कुछ
    देर बाद हँसनी ने पास के एक गांव्र पर नज़र डालकर हंस से कहा- देखो तो
    सही यहाँ से वहाँ दूर-दूर तक सन्नाटा है कोई रोशनी भी नही है,

    यहाँ ऐसा वीराना आख़िर क्यों है ? हंस ने कहा- बात तो तुम्हारी सत्य
    प्रतीत होती है | मुझे ऐसा लगता है कि शायद यहाँ कोई उल्लू रहता है, इसी
    कारण यहाँ दूर-दूर तक वीराना छाया हुआ है | उसी पेड़ पर बनी एक खोह में
    उल्लू बैठा था जो उनकी बातों को बढ़े ध्यान से सुन रहा था | उसे सुनकर
    क्रोध तो बहुत आया, लेकिन कुछ सोचकर चुप रहा |

    अगले दिन सुबह के समय हंस और हँसनी वापस उड़ने के लिए उद्धत / तैयार हुए
    , तभी उल्लू ने हँसनी को पकड़ लिया और हंस से कहा- अब तुम जाओ यह हँसनी
    अब मेरी है | उल्लू ने फिर कहा - मैने कहा न क़ि यह हँसनी मेरी है | जाओ
    यहाँ से | हंस ने कहा - ऐसा कैसे हो सकता है, हँसनी तो मेरी है | बात
    बढ़ती गयी परंतु उल्लू ने हँसनी को मुक्त करने से मना कर दिया | हंस
    निराश सा होने लगा | हंस ने पुनः विनती की, कि मेरी हँसनी को मुक्त कर दो
    |

    उल्लू ने हंस के चेहरे पर निराशा को देखकर कहा - यदि इस गांव की पंचायत
    यह फ़ैसला दे देगी कि यह हँसनी तुम्हारी है तो मैं हँसनी को मुक्त कर
    दूँगा | थक - हारकर हंस ने उसी गांव की पंचायत में गुहार लगाई | और
    आख़िरकार पंचायत बैठी | हंस ने हँसनी को अपना बताते हुए अपना पक्ष रखा |
    और उल्लू ने कहा - पंच महोदय ! यह हँसनी तो मेरी है, यह हंस झूठ बोल रहा
    है | दोनो की बातें सुनकर पंचायत ने आपस में विचार-विमर्श करना शुरू कर
    दिया |

    एक पंच ने कहा - बचपन में मेरी नानी एक कहानी सुनाती थी जिसमें वह उल्लू
    और हँसनी के जोड़े की बात कहती थी | दूसरे पंच ने कहा- बात तुम्हारी ठीक
    लगती है, मेरे दादाजी भी कहा करते थे कि उन्होने ने भी एक हँसनी और उल्लू
    का जोड़ा देखा भी था | तीसरे पंच ने कहा - मेरे बाबा ने भी एक किस्सा
    सुनाया था उसमे भी उन्होने हँसनी और उल्लू का जोड़ा होने की बात बताई थी
    | इसी प्रकार चौथे और पाँचवें पंच ने भी उन सबकी हाँ में हाँ मिलाते हुए,
    हँसनी और उल्लू का जोड़ा होने की बात का समर्थन कर दिया | आख़िरकार
    पंचायत ने अपना फ़ैसला सुनाते हुए हँसनी को उल्लू को सौपने के आदेश दे
    दिए | हंस और हँसनी फ़ैसला सुनकर घोर निराशा से भर गये | हँसनी और हंस
    दोनो की आँखों में आँसू आ गये | हंस मायूस हो गया |

    हंस दुखी मन से आँखों में आँसू लिए उड़ने को उद्धत हुआ तो उल्लू ने हंस
    को रोक लिया और उससे कहा - तुम कल रात पेड़ पर बैठकर हँसनी को क्या समझा
    रहे थे ? तुम्हें शायद याद नहीं आ रहा है, मैं तुम्हें याद दिलाता हूँ |
    हँसनी ने तुमसे यह पूछा था कि इस गांव में इतना सन्नाटा क्यों है ? ऐसा
    क्यों लगता है कि गांव में कोई दिया जलाने वाला तक नहीं है ? तो तुमने
    कहा - कि यहाँ ज़रूर कोई उल्लू रहता होगा तभी इतना यहाँ सन्नाटा है |

    अब तुम मुझे यह बताओ कि गांव में यह वीराना/सन्नाटा मेरी वजह से है या इन
    पंचों कि वजह से है ? जिन्होंने तुम्हारी हँसनी मुझे सौंप दी | जब पंचायत
    ऐसी होगी तब गांव में वीराना नही होगा तो क्या होगा ? हँसनी तुम्हारी है
    और तुम्हारी ही रहेगी | यह कहकर उल्लू ने हँसनी को हंस के सुपुर्द कर
    दिया | बात कहते-कहते उल्लू का गला भर आया था और उसकी आँखों में भी आँसू
    आ गये थे ..................| हंस ने उल्लू से माफ़ी माँगी और उल्लू को
    धन्यवाद देते हुए हंस और हँसनी वापस उड़ गये |

    Name: TRIBHUWAN KISHOR

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  13. आसमान में की सगाई


    पटना। अब मेट्रोपॉलिटन शहरों की तरह पटना के युवा जोड़े भी आसमान में सगाई करने लगे हैं। रविवार को चार्टर्ड विमान से दो युगल नौ हजार फीट की ऊंचाई पर पहुंचे और एक दूसरे को अंगूठी पहनाकर सगाई की रस्म पूरी की। नीचे आने पर परिजनों ने फूलों से और मिठाई खिलाकर इनका स्वागत किया।
    युगल अभिषेक-प्रिया और संजीव-कल्याणी ने बताया कि एक घंटे हवाई का सफर बहुत रोचक रहा। हमने एक दूसरे को अंगूठी पहनाते हुए साथ जीने-मरने का संकल्प लिया। कल्याणी और प्रिया ने बताया कि सपने में भी नहीं सोचा था कि आकाश में सगाई होगी।
    कल्याणी एमबीए हैं। वह अहमदाबाद में नौकरी कर रही थी। छोड़कर घर आ गई हैं। उनका विवाह मुंबई में सॉफ्टवेयर इंजीनियर संजीव कुमार सिंह के साथ तय है। चार्टर्ड विमान कंपनी ने एक घंटे की बुकिंग पर 65 हजार और दो घंटे की बुकिंग पर 1.30 लाख रुपये कीमत तय की है।

  14. computer and mobile phones will have unlimited memory



     अगर आपकेमोबाइल की मेमोरी असीमित हो। अलग से मेमोरी कार्ड डालने की जरूरत न हो तो आपके लिए यह किसी तोहफे से कम नहीं है। यह कल्पना नहीं, हकीकत है। जिसे साकार करने में दयालबाग शिक्षण संस्थान [डीईआइ] के वैज्ञानिक जुटे हुए हैं। ये वैज्ञानिक क्वांटम डिवाइस तैयार कर रहे हैं। इससे मोबाइल के साथ कंप्यूटर व अन्य उपकरणों की क्षमता बढ़ जाएगी।
    डीईआइ के क्वांटम नैनो सेंटर में चल रही कानसॉस कार्यशाला में देश-विदेश के वैज्ञानिकों ने क्वांटम नेटवर्कस व कंप्यूटेशन पर विचार रखे। क्वांटम एंड नैनो कंप्यूटिंग सिस्टम्स एंड एप्लीकेशस [कानसॉस] के संयोजक डॉ. विशाल साहनी ने बताया कि क्वांटम डिवाइस को तैयार करने में नैनो टेक्नोलॉजी का सहारा लिया जा रहा है।
    यह डिवाइस भी माइक्रो चिप की तरह ही काम करेगी। बस फर्क इतना होगा कि इसमें असीमित डाटा सुरक्षित रखा जा सकेगा और यह अधिक सुरक्षित होगा। उन्होंने बताया कि इस डिवाइस को बनाने के लिए अब तक दर्जनभर प्रयोग सफल रहे हैं। कार्यशाला में प्रो. दयालप्यारी श्रीवास्तव ने ग्राफ थ्योरेटिक क्वांटम पर शोध पत्र पढ़ा।
    उन्होंने बताया कि दिमाग के सोचने की क्षमता अतुलनीय है। दिमाग भी एक क्वांटम की तरह ही काम करता है। केमिकल लोचा पर शोध टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई के प्रो. वेणु गोपाल ने कहा कि दिमाग में कई तरीके के केमिकल होते हैं। जिनमें जरा सी कमी या फिर अधिकता पर दिमाग से संबंधित अलग-अलग बीमारिया हो जाती हैं। मोटर प्रोटींस भी एक ऐसा ही केमिकल है, जिस पर शोध चल रहा है। क्वांटम से साइबर क्राइम पर कंट्रोल नेशनल यूनिवर्सिटी सिंगापुर के प्रो. आर्टर एकर्ट ने क्वांटम क्रिप्टोग्राफी के फायदे समझाए। कहा कि क्वांटम द्वारा साइबर क्राइम पर कंट्रोल लगाया जा सकता है।


















































































































































  15. इस सॉफ्टवेर को डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें ।


  16. Touch Typing Study में आपका स्वागत है!

    http://www.typingstudy.com/hi/

    क्या आप अभी भी दो उंगलियों के साथ टाइप करते हैं? क्या आपको अभी भी
    प्रत्येक की-स्ट्रोक के साथ कीबोर्ड को देखना पड़ता है?

    आपको बता दें कि Touch Typing Study एक मुफ्त, उपयोग में आसान, सीखने की
    वेबसाइट है जो आपको आपकी टाइपिंग गति तथा शुद्धता को बेहतर करने, अभ्यास
    करने तथा सीखने में सहायता करती है।एक बार जब आप टच टाइप कर सकेंगे तो
    आपको उन वर्णों को खोजने के लिये की-बोर्ड पर देखने की जरूरत नहीं होगी
    जिनको आपको टाइप करना है और आप कहीं अधिक तेज़ गति से टाइप कर
    सकेंगे(गी)!

    टच टाइप एक ऐसी विधि है जो दृष्य की स्थान पर मांसपेशीय स्मृति पर आधारित
    है. यह विधि आपको डेटा दर्ज करने की अधिक तेज़ गति प्रदान करती है, विशेष
    रूप से जब आपको किसी दृष्य सामग्री से टेक्स्ट का ट्रांसक्रिप्शन करना
    हो.

    टच टाइपिंग विधि से टाइप करना आपकी कम्प्यूटर संबंधी उत्पादकता को काफी
    अधिक बढ़ा देता है, यह डेटा दर्ज करने की गति को बढ़ाता है और जहां तक
    संभव हो थकान और आँखों पर दबाव को कम करता है.

    टच टाइपिंग स्टडी में 15 पाठ, एक स्पीड टेस्ट और ऐसे खेल शामिल हैं जिनसे
    आप चरणबद्ध तरीके से टाइप करना सीख सकते हैं, साथ ही अपनी प्रगति को
    देखते हुये मज़े उठा सकते हैं।

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  17. मुफ्त में ऑनलाइन खेल सीधे खेलें। हमारे पास आपके खेलने के लिए बहुत सारे
    कार के शानदार खेल, फुटबॉल खेल,
    निशानेबाजी के खेज,
    जोंबी के खेल,
    खाना पकाने के खेल हैं।
    हमारी अद्भुत ऑनलाइन लाइब्रेरी में अभी खोजें!

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    बनाए उन्हें खेला जा सकता है। आप एंड्राइड खेल या iphone खेल भी खेल सकते
    हैं!

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  18. देश मे कहीं भी होगा बच्चा तो किया जा सकेगा बरामद

    अब प्रदेश मे गुमशुदा किसी भी बच्चे को वेबसाइड की मदद से बरामद किया जा सकेगा | यू पी मे भी  ट्रैकिंग चाइल्ड सॉफ्टवेअर को यहाँ की जरूरतों के अनुसार बादल कर नेशनल सर्वर से जोड़ दिया गया है| ट्रैकिंग चाइल्ड सॉफ्टवेअर पर गुमशुदा बच्चों की जानकारी अपलोड कर दी जाएगी |जिससे देश के सभी थानों मे लगे कंप्यूटर पर बच्चों की तस्वीर और जानकारी पहुँच जाएगी |
    बच्चे के मिलने पर सॉफ्टवेअर पर उसके बारे मे जानकारी खुद ब खुद आ जाएगी|   एडीजी तकनीकी शाखा ने जवाहर भवन स्थित कार्यालय मे पुलिस कर्मियों को इस सॉफ्टवेअर के इस्तेमाल की जानकारी देंने लिय कार्यशाला का आयोजन किया | नेशनल इन्फोर्मेटिक्स सेंटर से आए विशेषज्ञों ने पुलिस कर्मियों को बताया की वे इस सॉफ्टवेअर की मदद से कैसे बच्चों की फोटो व जानकारी वेबसाइड पर अपलोड करेंगे | बचपन बचाओ आंदोलन के तहत सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को गुमशुदा बच्चों  की तलाश के लिय खास योजना बनाने को कहा था | इसके बाद ट्रैकिंग चाइल्ड योजना की शुरुआत की गई |

    ·       एफ आई आर भी ड़ाल सकते हैं वेबसाइड  पर

    अगर किसी का बच्चा लापता है तो उसकी जानकारी वेबसाइड ट्रैक द मिसिंग चाइल्ड पर डाली जा सकती है | इसमे बच्चे की फोटो , उसकी जानकारी और दर्ज एफ आई आर को स्कैन कर ड़ाल सकते हैं | बच्चे की जानकारी वेबसाइड  पर आने के बाद देश के सभी राज्यों की पुलिस इसे देख सकेगी | अगर उनके इलाके मे वैसा कोई भी बच्चा दिखा या कहीं उससे संपर्क हुआ तो वहाँ की पुलिस  वेबसाइड की मदद से बच्चों के परिवार वालों तक पहुँच सकेगी |


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